विनय पत्रिका – श्रीगोस्वामी तुलसीदास (गीता-प्रेस) पीडीएफ | Vinay Patrika – Goswami Tulsidas (Gita-Press) PDF

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पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-

पुस्तक का नाम (Name of Book)विनय पत्रिका / Vinay Patrika PDF
पुस्तक का लेखक (Name of Author)Goswami Tulsidas
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)28 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)364
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)धार्मिक / Religious

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

Tulsidas Vinay Patrika PDF in Hindi Summary

विनय पत्रिका, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक काव्य है। यह काव्य भगवान राम को समर्पित है और इसमें तुलसीदास अपने गुरु, भगवान राम और अपने आराध्य भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

विनय पत्रिका में कुल 12 अध्यायों में विभाजित है। प्रत्येक अध्याय में तुलसीदास एक विशेष विषय पर भगवान राम से प्रार्थना करते हैं। उदाहरण के लिए, पहले अध्याय में वे भगवान राम से उनका आशीर्वाद मांगते हैं, दूसरे अध्याय में वे भगवान राम से उन्हें ज्ञान और भक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं, और तीसरे अध्याय में वे भगवान राम से उन्हें अपने जीवन में सफलता प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।

विनय पत्रिका एक भावपूर्ण और संवेदनशील काव्य है। इसमें तुलसीदास की भगवान राम के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त होती है। काव्य की भाषा सरल और सहज है, और इसमें तुलसीदास की काव्यात्मक प्रतिभा का चमत्कार देखने को मिलता है।

विनय पत्रिका काव्य की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • यह काव्य भगवान राम को समर्पित है।
  • इसमें तुलसीदास अपने गुरु, भगवान राम और अपने आराध्य भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
  • काव्य की भाषा सरल और सहज है।
  • इसमें तुलसीदास की काव्यात्मक प्रतिभा का चमत्कार देखने को मिलता है।

विनय पत्रिका एक महत्वपूर्ण काव्य है जो हिंदी साहित्य के भक्ति आंदोलन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह काव्य आज भी लाखों भक्तों के द्वारा पढ़ा और सुना जाता है।

विनय पत्रिका के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण निम्नलिखित हैं:

  • “सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डर ना।”
  • “प्रेम प्रसंगु सब जग जाना, प्रभु प्रेमी जननि जान।”
  • “राम कृपामय भवानी कृपालु, दोऊ मिलि प्रभु सेवक करहु।”

विनय पत्रिका एक सुंदर और भावपूर्ण काव्य है जो भगवान राम की भक्ति और श्रद्धा के प्रति एक अमर कृति है।

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गाइये गनपति जगबंदन। संकर सुवन भवानी-नंदन ॥ १ ॥ सिद्धि-सदन, गज-बदन, बिनायक। कृपा-सिंधु, सुंदर, सब-लायक ॥ २ ॥ मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता। बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता ॥ ३ ॥ माँगत तुलसिदास कर जोरे। बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ ४ ॥

भावार्थ – सम्पूर्ण जगत्के वन्दनीय, गणोंके स्वामी श्रीगणेशजीका गुणगान कीजिये, जो शिव-पार्वतीके पुत्र और उनको प्रसन्न करनेवाले हैं ॥ १ ॥ जो सिद्धियोंके स्थान हैं, जिनका हाथीका-सा मुख है, जो समस्त विघ्नोंके नायक हैं यानी विघ्नोंको हटानेवाले हैं, कृपाके समुद्र हैं, सुन्दर हैं, सब प्रकारसे योग्य हैं ॥ २ ॥ जिन्हें लड्डू बहुत प्रिय है, जो आनन्द और कल्याणको देनेवाले हैं, विद्याके अथाह सागर हैं, बुद्धिके विधाता हैं ॥ ३ ॥ ऐसे श्रीगणेशजीसे यह तुलसीदास हाथ जोड़कर केवल यही वर माँगता है कि मेरे मनमन्दिरमें श्रीसीतारामजी सदा निवास करें ॥ ४॥

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