असली पुराना इन्द्रजाल हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Asli Purana Indrajaal Hindi PDF Book

पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-

पुस्तक का नाम (Name of Book)असली पुराना इन्द्रजाल पुस्तक हिंदी पीडीएफ | Asli Purana Indrajaal PDF in Hindi
पुस्तक का लेखक (Name of Author)Anonymous
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)30 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)670
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)Tantra Vidya

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

जहां देखिये, विद्या का जग में बोल बाला है । जो सच पूछो तो विद्या के बिना संसार में मुंह काला है ॥ आज के नवीन युग में हमारी यह पुस्तक श्राज लोग को अनोखी मालूम होती है कारण है आज का मनुष्य हर एक कठिन काम से डरता है वह चाहता है कि सत्र काम बगैर कुछ हाथ पैर हिलाए बन जावें । एक समय था जब लोग आधी – श्राधी रात जाकर श्मशान भूमि पर प्रेत की तपस्या करते थे जब कहीं जाकर “मृतक श्रात्माओं” को वश में करके बड़े-बड़े काम निकालते थे ।

जहां देखिये, विद्या का जग में बोल बाला है । जो सच पूछो तो विद्या के बिना संसार में मुंह काला है ॥ आज के नवीन युग में हमारी यह पुस्तक श्राज लोग को अनोखी मालूम होती है कारण है आज का मनुष्य हर एक कठिन काम से डरता है वह चाहता है कि सत्र काम बगैर कुछ हाथ पैर हिलाए बन जावें । एक समय था जब लोग आधी – श्राधी रात जाकर श्मशान भूमि पर प्रेत की तपस्या करते थे जब कहीं जाकर “मृतक श्रात्माओं” को वश में करके बड़े-बड़े काम निकालते थे ।

परन्तु आवश्यकता है परिश्रम करने की । शुद्ध मन से दृढ़ इच्छा शक्ति को लेकर के जिस काम को करेगा कोई वजह नहीं कि फिर वह उसमें सफ- लता प्राप्त न करे। ईश्वर की दया से जो पुस्तक आज हम श्रापकी भेंट कर रहे हैं हमें पूर्ण याशा है यह आपकी अनेक इच्छाओं को पूर्ण करने में पूरी-पूरी सहायता देगी। पढ़कर अवश्य लाभ उठावें ।
श्री गुरु गणपति सरस्वती शिवगिरिजा गुण गाज । जिनके सुमिरण कियेते सिद्धि होत सब काज !!

धन्यवाद प्रभु और प्रभु की प्रभुताई को जिनने इस संसार में ऐसे-ऐसे पदार्थ उत्पन्न किये हैं जो किसी के ध्यान और गुमान में न आ सकें उनमें से अत्यन्त न्यून वस्तु जो तृणपात हैं तिनक समान किसी की सामर्थ्य नहीं जो बना सके उसकी माया का भेद किसी ने नहीं पाया जिसने गाया उसने अपनी मति के अनुसार गाया वह परमेश्वर पूर्णा ब्रह्म अनादि और अनन्त है

ज्योति स्वरूप सर्व व्यापक सबसे न्यारा है उस निर्गुण ब्रह्म के . सगुण स्वरूप श्री कृष्णचन्द्रमा जी के चर्णार्विन्द में बारम्बार सिर नवाय कर अपने चित्त के मनोर्थ को प्रकट करता हूं कि इस संसार में जितने देह- धारी गृहस्थी बनवासी बुद्धिमान मतिहीन हैं उनमें कोई ऐसा नहीं है जिसको अपने सुख-दुःख हानि लाभ का ज्ञान न हो और अपने मनोर्थ सिद्धि करने की अनेक प्रकार का यत्न और उपाय न करता हो जो कि बहुधा मनुष्य अपने अधिकार के बढ़ाने को मंत्रादिक के द्वारा उपाय कर मन- वांछित फल पाते हैं इसलिये उनका चित्त इस प्रकार के यत्न और उपाय में लगता है जो कि यह विद्या सदा से लोगों को हितकारी अत्यन्त है

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असली इंद्रजाल क्या है?

जादू का खेल ही इन्द्रजाल कहलाता है।

इंद्रजाल किताब पढ़ने से क्या होता है?

यह किसी भी टोने-टोटके को बेअसर करने की ताकत रखती है।

सबसे अच्छा इंद्रजाल कौन सा है?

असली पुराना इन्द्रजाल

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