महाराणा प्रताप का इतिहास | Maharana Pratap History PDF

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महाराणा प्रताप की जीवनी

महाराणा प्रताप, राजस्थान के मेवाड़ राजवंश के वीर और महानायकों में से एक थे। उनकी जीवनी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण पृष्ठ है, जो उनकी अद्भुत वीरता और संघर्ष से भरी हुई थी। महाराणा प्रताप का जीवन एक साहसिक कविता की तरह है, जो उनकी धैर्य, साहस, और अदम्य संघर्ष की कहानी सुनाती है।

जन्म और परिवार:

महाराणा प्रताप का जन्म सन् 1540 में कुंभलगढ़ गढ़ी में हुआ था। उनके पिता महाराणा उदय सिंह और माता जयवंती कुमारी थे। प्रताप के जन्म समय पर उनके पिता राजा उदय सिंह ने एक यज्ञ कराया था जिसमें एक बारह लाख गज जमीन का दान दिया गया था। उस दिन को ‘भारण तृयोदशी’ के रूप में जाना जाता है।

बचपन:

प्रताप का बचपन खुशहाल और अध्ययन से भरा हुआ था। वे अपने पिता के द्वारा बड़े प्यार से पाले गए थे और उनके शिक्षा में खास ध्यान दिया गया था। वे अपने गुरुओं से योद्धा कला और धर्म की शिक्षा लेते रहे।

वीरता का परिचय:

महाराणा प्रताप ने बचपन से ही वीरता के लिए अपना नाम रौंदा था। उन्होंने बहादुरी और वीरता का परिचय काफी छोटी उम्र में ही दिया था, जब वे एक घोड़े के साथ बैठकर शिकार करते थे। उन्होंने शिकार के समय घोड़े को बचाने के लिए अपना जीवन खतरे में डाल दिया था।

विवाह:

महाराणा प्रताप का विवाह मारवाड़ वंश की राणी आजकुंवरी बाई से हुआ था। आजकुंवरी बाई राठौर राजवंश की राजकुमारी थीं और वे राजपूत संस्कृति के प्रतीक मानी जाती थीं। दोनों के विवाह से मेवाड़ और राठौर राजवंश के बीच दृढ़ संबंध बने जिससे उनके समर्थन की शक्ति बढ़ी।

विरोध और संघर्ष:

प्रताप के बाप का मृत्यु हो जाने के बाद, उन्हें 1572 में मेवाड़ के महाराजा के रूप में अभिषेक किया गया। परंतु उनके विरोधियों ने उन्हें राज्य से बाहर धकेल दिया और चित्तौड़गढ़ के वन में वनवास भेज दिया। वहां से, महाराणा प्रताप ने मेवाड़ और अपने परिवार के लिए संघर्ष किया और अपने सपनों के लिए लड़ने का संकल्प किया।

हल्दीघाटी का युद्ध:

महाराणा प्रताप का सबसे प्रसिद्ध युद्ध हल्दीघाटी का युद्ध था जो 1576 में हुआ था। इस युद्ध में, उन्होंने मुगल सम्राट अकबर से साम्राज्य की रक्षा के लिए भयंकर लड़ाई लड़ी। हालांकि, युद्ध के बावजूद, वे अकबर को हरा नहीं सके और युद्ध का परिणाम अनिर्धारित रहा।

महाराणा प्रताप का आखिरी समय:

वीर राणा प्रताप का आखिरी समय उनके अद्भुत संघर्ष और वीरता के बावजूद दुखद रहा। वे 1597 में कामबख्तौरे गाँव के आस-पास अवसरवार्ता के कारण संकट में थे।

उनकी मृत्यु:

महाराणा प्रताप की मृत्यु 29 जनवरी 1597 को हुई और उनका अंतिम संस्कार चित्तौड़ में किया गया। उनके निधन के बाद उन्हें एक महान योद्धा और धरोहर के रूप में स्मरण किया जाता है।

महाराणा प्रताप की जीवनी एक ऐतिहासिक गाथा है जो हमें एक साहसी और निष्ठावान व्यक्तित्व का परिचय कराती है। उनके धैर्य, वीरता, और संघर्ष के उदाहरण हमें सबक सिखाते हैं और उनकी वीरता हमारे लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनती है। उनकी जीवनी हमें यह सिखाती है कि एक व्यक्ति अपने मूल्यों और सिद्धांतों के लिए समर्थन करते हुए अपने सपनों को पूरा कर सकता है और किसी भी समय अपने लक्ष्यों के लिए संघर्ष करना नहीं छोड़ना चाहिए।


महाराणा प्रताप ( Maharana Pratap Pdf ) के बारे में अधिक जानकारी:-

पुस्तक का नाम (Name of Book)महाराणा प्रताप का इतिहास | Maharana Pratap History PDF
पुस्तक का लेखक (Name of Author)Shri Ram Sharma
पुस्तक की भाषा (Language of Book)Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)6 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)146
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)Biography and Autobiography

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

“राणा प्रताप – एक राजपूत वीर” एक पुस्तक है जो राजपूताने के उत्कृष्ट इतिहास के एक रोमांचकारी अध्ययन को प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक राजपूताने के इतिहास, उनके धैर्य, बहादुरी, और अद्भुत वीरता के बारे में अनगिनत जानकारी प्रदान करती है।

पुस्तक के इस ऊबड़ खाबड़ प्रदेश में सिसोदियों, राठौरों, कछवाहों, चौहानों और परमार वंश के राजपूतों के अद्भुत कीर्तिस्तम्भों के बारे में विस्तृत चर्चा की गई है, जिन्होंने विश्वभर के ध्यान को अपनी ओर खिंचा है। इसमें राणा प्रताप की बहादुरी के कुछ खास पहलुओं को महसूस किया जाता है, जैसे कि उनके खतरनाक संघर्षों का वर्णन।

इस पुस्तक में राजपूत वीर राणा प्रताप के जीवन के अहम पलों को संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी, हिन्दी, राजस्थानी, और उर्दू में सम्मिलित किया गया है। पुस्तक के लेखक ने उनकी प्रतिज्ञाओं, वीरता, और समर्थन के प्रति कृतज्ञता प्रकट की है, जिससे राणा प्रताप का स्थान राजस्थान के सबसे पवित्र और सम्माननीय राजपूत वीरों में स्थान बनाया गया है।

पुस्तक विशेष रूप से राणा प्रताप के युद्ध के प्रसंगों का वर्णन करती है, जो राजपूताने के धरोहर की एक अमूल्य भाग हैं। राजस्थान के विविध इतिहासकारों के परामर्श, राजकीय इतिहासों, ताम्रपत्रों, शिलालेखों, और भाटों के अनुभवों के साथ पुस्तक के लेखक ने इस वीर राजपूत की जीवनी को प्रामाणिक और सत्यप्रिय बनाने का प्रयास किया है।

“राणा प्रताप – एक राजपूत वीर” एक ऐतिहासिक गौरव की प्रतीक्षा करने वाले राजपूतों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसमें राजपूताने के समृद्ध वीरता और शौर्य से भरे इतिहास के छिपे हुए रत्नों का पता चलता है, जो इस प्रकार के रोमांचकारी इतिहास का एक मूल्यवान हिस्सा बनता है।

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