दुर्गा सप्तशती हिंदी पुस्तक | Durga Saptashati PDF

पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-

पुस्तक का नाम (Name of Book)दुर्गा सप्तशती | Durga Saptashati PDF
पुस्तक का लेखक (Name of Author)गीता प्रेस / Geeta Press
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)1 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)240
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)धार्मिक / Religious

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य । प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ॥
दुर्गासप्तशती हिंदू-धर्मका सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपाके सुन्दर इतिहास के साथ ही बड़े-बड़े गूढ़ साधन – रहस्य भरे हैं। कर्म, भक्ति और ज्ञानकी त्रिविध मन्दाकिनी बहाने वाला यह ग्रन्थ भक्तों के लिये वांछाकल्पतरु है । सकाम भक्त इसके सेवनसे मनोऽभिलषित दुर्लभतम वस्तु या स्थिति सहज ही प्राप्त करते हैं

और निष्काम भक्त परम दुर्लभ मोक्षको पाकर कृतार्थ होते हैं। राजा सुरथसे महर्षि मेधाने कहा था- ‘तामुपैहि महाराज शरणं परमेश्वरीम् । आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा ॥ महाराज ! आप उन्हीं भगवती परमेश्वरीकी शरण ग्रहण कीजिये ।

वे आराधनासे प्रसन्न होकर मनुष्योंको भोग, स्वर्ग और अपुनरावर्ती मोक्ष प्रदान करती हैं।’ इसीके अनुसार आराधना करके ऐश्वर्यकामी राजा सुरथने अखण्ड साम्राज्य प्राप्त किया तथा वैराग्यवान् समाधि वैश्यने दुर्लभ ज्ञानके द्वारा मोक्षकी प्राप्ति की । अबतक इस आशीर्वादरूप मन्त्रमय ग्रन्थ के आश्रय से न मालूम कितने आर्त, अर्थार्थी, जिज्ञासु तथा प्रेमी भक्त अपना मनोरथ सफल कर चुके हैं।

इसमें पाठ करनेकी विधि स्पष्ट, सरल और प्रामाणिक रूपमें दी गयी है। शापोद्धारके अनेक प्रकार बतलाये गये हैं। कवच, अर्गला और कीलकके भी अर्थ दिये गये हैं ।

वैदिक-तान्त्रिक रात्रिसूक्त और देवीसूक्तके साथ ही देव्यथर्वशीर्ष, सिद्ध कुंजिकास्तोत्र, मूल सप्तश्लोकी दुर्गा, श्रीदुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला, श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा और देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रको भी दे देनेसे पुस्तककी उपादेयता विशेष बढ़ गयी है।

नवार्ण-विधि तो है ही, आवश्यक न्यास भी नहीं छूटने पाये हैं। सप्तशतीके मूल श्लोकों का पूरा अर्थ दे दिया गया है। तीनों रहस्योंमें आये हुए कई गूढ़ विषयों को भी टिप्पणीद्वारा स्पष्ट किया गया है।

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दुर्गा सप्तशती का कौन सा पाठ करना चाहिए?

कम समय में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण लाभ लेने के लिए सबसे पहले कवच, कीलक व अर्गला स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इसके बाद कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर लें। ऐसा करने से दुर्गा सप्‍तशती के संपूर्ण पाठ का फल प्राप्‍त हो जाता है।

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