यामा ( Yaama ) के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का नाम (Name of Book) | यामा / Yaama |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Mahadevi Verma |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 5 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 288 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | उपन्यास / Novel |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
हिन्दी काव्य का वर्तमान नवीन युग गीतप्रधान ही कहा जायगा। हमारा व्यस्त और व्यक्तिप्रधान जीवन हमें काव्य के किसी और अंग की और दृष्टिपात करने का अवकाश ही नहीं देना चाहता। आज हमारा हृदय ही हमारे लिए संसार है हम अपनी प्रत्येक साँस का इतिहास लिख रखना चाहते हैं, अपनी प्रत्येक कम्पन को अंकित कर लेने के लिए उत्सुक हैं और प्रत्येक स्वप्न का मूल्य पा लेने के लिए विकल है। सम्भव है यह उस युग की प्रतिक्रिया हो जिसमें कवि का आदर्श अपने विषय में कुछ न कह कर संसार भर का इतिहास कहना था, हृदय की उपेक्षा कर शरीर को आहत करना था
इस युग के गीतों की एकरुपत्ता में भी ऐसी विविधता है जो उन्हें बहुत काल तक सुरक्षित रख सकेगी। इनमें कुछ गीत मलयसमीर के झोंके के समान हमें बाहर से स्पर्श कर अन्तरतम तक तिहरा देते हैं, कुछ अपने दर्शन से बोझिल पंसों द्वारा हमारे जीवन को सब ओर से छू लेना चाहते हैं, कुछ किसी अलक्ष्य दानी पर छिपकर बैठी हुई कोकिल के समान हमारे ही किसी भूले स्वप्न की कथा कहते रहते हैं और कुछ मन्दिर के पूत धूप धूम के समान हमारी दृष्टि को धुंधला परन्तु मन को सुरभित किये बिना नही रहते।
कामरेखाओं के मार्ग में बिखरी हुई बदलियों के कारण जैसे एक ही विस्तृत आकाश के नीचे हिलोरें लेनेवाली जलराशि में नहीं छाया और नहीं आलोक का आभास मिलने लगता हूँ उसी प्रकार हमारी एक ही काव्यधारा अभिव्यक्ति की भिन्न शैलियों के अनुसार भिन्न- वर्णी हो उठी है।
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