नीहार ( Nihar Poem by Mahadevi Verma ) के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का नाम (Name of Book) | नीहार / Neehar |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Mahadevi Verma |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 96 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Poetry |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
जकल जिसे छायावाद कहते हैं, इस प्रेम की अधिकांश कविताएँ उसी ढंग की हैं। छायावाद किसे कहते हैं ? उसे छायावाद कहना चाहिये अथवा रहस्यवाद यह यादग्रस्त विषय है। स्वयं छायावादी- कवि अय तक इस बात को निश्चित नहीं कर सके, कि ये अपनी नूतन प्रणाली की कवितायों को छायावाद कहें अथवा रहस्यवाद । इस प्रकार की कविताओं की परिधि इतनी विस्तृत हो गई है कि उन सबका अन्तर्भाष छायावाद अथवा रहस्यवाद में नहीं हो सकता । चतपुव कोई-कोई उसको हृदय याद कहने लगे हैं, किन्तु यह संज्ञा अतिव्याप्ति दोष से दूषित है।
मिस्टिसिज्म ( Mysticism ) का पथार्थ-अनुवाद रहस्यवाद ही हो सकता है, पायावाद शब्द में उसकी छाया दिखलायी पड़ती है मूर्ति नहीं रहस्यवाद में धरपष्टता, अपरिच्छिनता और सर्व साधारण की दुर्बोधता झलकती है, यह चमत्कारक होकर अचिन्तनीय भी है, छायावाद में यह बात नहीं पायी जाती। वह स्निग्ध, मनोरम, और माल है, साथ ही उतना थचिन्तनीय नहीं, शायद इसीलिये उस पर अधिकतर सहृदयों की स्वीकृति की मुहर लग गई है।
छायावाद शब्द प्रचलित हो गया है, और अपने उद्देश की पूर्ति भी कर रहा है। ऐसी अवस्था में अब इस विषय में अधिक एवं कुतः की आवश्यकता नहीं जान पड़ती। किसी विषय के लिए जब कोई शब्द रूदि हो जाता है, तो एक प्रकार से यह अपेक्षित आवश्यकता के लिए स्वीकृति समझा जाता है, फिर वाद-विवाद क्या ? संसार में अधिकांश नामकरण इसी प्रकार हुआ है।
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