पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | नारद और शांडिल्य भक्ति सूत्र | Narad Aur Shandilya Bhakti Sutra PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | गीता प्रेस / Geeta Press |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 16 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
सा मुख्येतरापेक्षितत्वात् ॥ १० ॥ १०- वह भक्ति मुख्य है; क्योंकि ज्ञानयोगादि इतर साधन उसकी अपेक्षा रखते हैं (अन्य साधन अङ्ग हैं और भक्ति अङ्गी है)।
प्रकरणाच्च ॥ ११ ॥
११- ( छान्दोग्यके) प्रकरण से भी (भक्ति की ही मुख्यता सिद्ध होती है) (क्योंकि वहाँ रतिरूपा भक्तिका ही फल स्वाराज्य सिद्धि) बतायी गयी है।
प्रकरण इस प्रकार है, छान्दोग्योपनिषद् मन्त्र है आत्मैवेदं सर्वमिति स वा एष एवं पश्यन्नेवं मन्वान एवं विजानन्नात्मरतिरात्मक्रीड आत्ममिथुन आत्मानन्दः स स्वराड् भवति। ( ७। २५ । २)
अर्थात् ‘यह सब कुछ परमात्मा ही है; जो ऐसा देखता, ऐसा मानता और ऐसा समझता है, वह परमात्मामें परम अनुराग परमात्मामें ही क्रीडा, उन्होंके संयोगका सुख तथा उन्हींमें आनन्दका अनुभव करता हुआ स्वराट् (परमात्मस्वरूप ) हो जाता है।’ इसमें दर्शन, मनन एवं ज्ञान आदि साधन आत्मरतिरूपा भक्तिके अङ्ग हैं, यह स्वतः स्पष्ट हो जाता हैं।
Leave a Comment