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पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | दुर्गा आराधना / Durga Aaradhana |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Anonymous |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 39 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 84 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
Durga Aradhana in Hindi PDF Summary
Durga Aradhana in Hindi PDF एक पुस्तक है जिसमें दुर्गा देवी की पूजा से संबंधित विभिन्न स्तोत्र, आरती और प्रार्थनाएं शामिल हैं। यह पुस्तक हिंदी में लिखी गई है और यह उन लोगों के लिए एक उपयोगी संसाधन है जो दुर्गा देवी की पूजा करना चाहते हैं।
इनमें से प्रत्येक अध्याय में दुर्गा देवी से संबंधित एक अलग स्तोत्र, आरती या प्रार्थना शामिल है। उदाहरण के लिए, सर्वकामना सिद्ध प्रार्थना एक ऐसी प्रार्थना है जो दुर्गा देवी से सभी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए की जाती है।
सप्तश्लोकी दुर्गा एक सात श्लोकों वाला स्तोत्र है जिसका पाठ करने से दुर्गा देवी की कृपा प्राप्त होती है। श्री दुर्गा के 108 नाम दुर्गा देवी के 108 नामों की एक सूची है, जिसका पाठ करने से दुर्गा देवी की कृपा प्राप्त होती है और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Durga Aradhana in Hindi PDF पुस्तक एक उपयोगी संसाधन है उन लोगों के लिए जो दुर्गा देवी की पूजा करना चाहते हैं। यह पुस्तक दुर्गा देवी से संबंधित विभिन्न स्तोत्र, आरती और प्रार्थनाएं प्रदान करती है, जिसका उपयोग भक्त अपनी भक्ति व्यक्त करने और दुर्गा देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं।
पुस्तक में निम्नलिखित अध्याय शामिल हैं:
क्रमांक | विषय |
---|---|
1 | सर्वकामना सिद्ध प्रार्थना |
2 | सप्तश्लोकी दुर्गा |
3 | श्री दुर्गा के 108 नाम |
4 | दुर्गा स्तुति |
5 | दुर्गा कवच |
6 | अर्गला स्तोत्र |
7 | कीलक स्तोत्र |
8 | दुर्गा चालीसा |
9 | विन्ध्येश्वरी चालीसा |
10 | विन्ध्येश्वरी स्तोत्र |
11 | आरती अम्बे जी की |
12 | आरती विन्ध्येश्वरी जी की |
13 | आरती दुर्गा जी की |
14 | आरती वैष्णों देवी की |
15 | आरती शाकुम्भरी देवी की |
16 | आरती पार्वती देवी की |
17 | आत्म निवेदन |
सर्व कामना सिद्ध प्रार्थना
भगवती भगवान की भक्ति करो प्रवान तुम ।
अम्बे कर दो अमर जिस पे हो जाओ मेहरबान तुम ।
काली काल के पंजे से तुम ही बचाना आन कर।
गौरी गोदी में बिठाना अपना बालक जान कर ।
चिन्तपूरणी चिन्ता मेरी दूर तुम करती रहो।
लक्ष्मी लाखों भण्डारे मेरे तुम भरती रहो।
नैना देवी नैनों की शक्ति को देना तुम बढ़ा।
वैष्णों माँ विषय विकारों से देना तुम बचा।
मंगला मंगल सदा करना भवन दरबार में ।
चण्डिका चढ़ती रहे मेरी कला संसार में ।
भद्रकाली भद्र पुरुषों से मिलना तुम सदा ।
ज्वाला जलना ईर्षा वश यह मिटाना कर कृपा ।
चामुण्डा तुम दास पे अपनी दया दृष्टि करो।
माता मान इज्जत व सुख सम्पत्ति से भण्डारे भरो।
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