अंतर की खोज (Antar Ki Khoj PDF ) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | अंतर की खोज / Antar Ki Khoj |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Osho |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 179 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Adhyatm |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
एक गांव में एक अपरिचित फकीर का आगमन हुआ था। उस गांव के लोगों ने शुक्रवार के दिन, जो उनके धर्म का दिन था, उस फकीर को मस्जिद में बोलने के लिए आमंत्रित किया। वह फकीर बड़ी खुशी से राजी हो गया। लेकिन मस्जिद में जाने के बाद, जहां कि गांव के बहु से लोग इकट्ठा हुए थे, उस फकीर ने मंच पर बैठ कर कहाः मेरे मित्रो, मैं जो बोलने को हूं, जिस संबंध में मैं बोलने वाला हूं, क्या तुम्हें पता है वह क्या है? बहुत से लोगों ने एक साथ कहा: नहीं, हमें कुछ भी पता नहीं है।
वह फकीर मंच से नीचे उतर आया और उसने कहा: ऐसे अज्ञानियों के बीच बोलना मैं पसंद न करूंगा, जो कुछ भी नहीं जानते। जो कुछ भी नहीं जानते हैं उस विषय के संबंध में जिस पर मुझे बोलना है, उनके साथ कहां से बात शुरू की जाए? इसलिए मैं बात शुरू ही नहीं करूंगा। वह उतरा और वापस चला गया।
वह सभा, वे लोग बड़े हैरान रह गए। ऐसा बोलने वाला उन्होंने कभी देखा न था। लेकिन फिर दूसरा शुक्रवार आया और उन्होंने जाकर उस फकीर से फिर से प्रार्थना की कि आप चलिए बोलने। वह फकीर फिर से राजी हो गया और मंच पर बैठ कर उसने फिर पूछा, मेरे मित्रो, मैं जिस संबंध में बोलने को हूं, क्या तुम्हें पता है वह क्या है? उन सारे लोगों ने कहा: हां, हमें पता है।
क्योंकि नहीं कह कर वे पिछली दफा भूल कर चुके थे। उस फकीर ने कहाः तब फिर मैं नहीं बोलूंगा, क्योंकि जब तुम्हें पता है तो मेरे बोलने का कोई प्रयोजन नहीं। जब तुम्हें ज्ञात ही है तो ज्ञानियों के बीच बोलना फिजूल है। वह उतरा और वापस चला गया।