आदर्श संत (Adarsh Sant) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | आदर्श संत / Adarsh Sant |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Anonymous |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 5 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 59 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
श्रीविट्ठल पन्तके तीन पुत्र और एक कन्या थी । उनके नाम थे निवृत्तिनाथ, ज्ञानेश्वर, सोपानदेव और मुक्ताबाई । श्रीविट्ठल पन्तने अपने गुरु स्वामी श्रीरामानन्दजीकी आज्ञासे संन्यास लेनेके बाद पुनः गृहस्थधर्म स्वीकार कर लिया था ।
अतः ब्राह्मणोंके आदेशसे अपनी पत्नी श्रीरुक्मिणी बाईके साथ उन्होंने प्रायश्चित्त करनेके लिये प्रयाग त्रिवेणी संगममें देह त्याग – कर दिया। उस समय उनके चारों पुत्र बहुत छोटे थे ।
श्रीविट्ठल पन्त गृहस्थ होकर भी अत्यन्त त्यागका ही जीवन व्यतीत करते थे। उनके देह त्यागके समय उनके घरमें कोई सम्पत्ति नहीं थी । भिक्षा माँगकर ही उनके बालक अपना निर्वाह करते थे
श्रीज्ञानेश्वरका जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी सं० १३३२ में आलन्दीमें हुआ था । उनकी पाँच वर्षकी अवस्थामें ही उनके माता-पिताने देह त्याग कर दिया। इसके बाद आलन्दीके ब्राह्मणोंने कहा- ‘यदि पैठणके विद्वान् तुमलोगोंको यज्ञोपवीतका अधिकारी मान लेंगे तो हमलोग भी उसे स्वीकार कर लेंगे।’
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