हम्मीरायण ( Hammirayan PDF ) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | हम्मीरायण | Hammirayan |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Dr. Dashrath Sharma |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 5 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 243 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | History |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
हम्मीरायण का कथा-भाग कुछ विशेष लम्बा नहीं है। इसे रामायण सेतुलित किया जाए तो शायद यही कहना पड़े कि इसमें लङ्काकाण्ड मात्र ही है । इम्मीर के आरम्भिक जीवन को सर्वथा छोड़ कर इसकी कथा प्रायः अलाउद्दीन और हम्मीर के सघर्ष से ही आरम्भ होती है। संक्षेप में कथा निम्नलिखित है :-
जयतिगदे का पुत्र हम्मीरदे चहुआण रणथंभोर का राजा था। उसका माई वीरम युवराज था और सूरवंशी रणमल तथा रायपाल उसके प्रधान थे । हम्मीर ने प्रधानों को आधी बूंदी गुजारे में और बहुत सी सेना दी थी।
इसी बीच में उल्लूखां के दो विद्रोही सरदार, महिमासाहि औौर मीर ‘गामरू’ उल्लूखाँ की बहुत सी सेना का नाश कर रणथम्भोर भा पहुँचे। हम्मीर ने उन्हें शरण दी, और उन्हें दो लाख वेतन ही नहीं,बहुत अच्छी जागीर मी दी। महाजनों ने इस नीति की कटु आलोचना की। किन्तु हम्मीर ने उनकी मलाइ पर ध्यान न दिया ।
Leave a Comment