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‘गृहस्थ में कैसे रहें’ पुस्तक स्वामी रामसुखदास द्वारा लिखी गई है. यह पुस्तक गृहस्थ आश्रम के बारे में है. गृहस्थ आश्रम चार आश्रमों में से एक है जो हिंदू धर्म में बताया गया है. अन्य तीन आश्रम हैं: ब्रह्मचर्य आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और संन्यास आश्रम.
गृहस्थ आश्रम वह आश्रम है जिसमें एक व्यक्ति शादी करता है और एक परिवार शुरू करता है. यह आश्रम जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आश्रम माना जाता है क्योंकि यह एक व्यक्ति को संतान पैदा करने, समाज में योगदान करने और मोक्ष प्राप्त करने का अवसर देता है.
पुस्तक में गृहस्थ आश्रम के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं. इनमें शामिल हैं:
- गृहस्थ आश्रम का महत्व
- एक अच्छे गृहस्थ के गुण
- एक अच्छे गृहस्थ के कर्तव्य
- एक अच्छे गृहस्थ के जीवन में आने वाली समस्याएं और उनका समाधान
पुस्तक में गृहस्थ आश्रम के बारे में बहुत ही सरल और सुगम भाषा में बताया गया है. यह पुस्तक सभी उन लोगों के लिए एक उपयोगी मार्गदर्शिका है जो गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं या जो पहले से ही गृहस्थ आश्रम में हैं.
पुस्तक में बताई गई कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं:
- गृहस्थ आश्रम जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आश्रम है.
- एक अच्छा गृहस्थ ईश्वर भक्त, धर्मपरायण, सत्यवादी, दयालु, परोपकारी और सदाचारी होना चाहिए.
- एक अच्छे गृहस्थ के कर्तव्यों में अपने परिवार का पालन-पोषण करना, समाज में योगदान करना और मोक्ष प्राप्त करना शामिल है.
- एक अच्छे गृहस्थ के जीवन में आने वाली समस्याएं हैं:
- वैवाहिक समस्याएं
- पारिवारिक समस्याएं
- आर्थिक समस्याएं
- स्वास्थ्य समस्याएं
- सामाजिक समस्याएं
पुस्तक में इन समस्याओं के समाधान भी बताए गए हैं.
पुस्तक ‘गृहस्थ में कैसे रहें’ सभी उन लोगों के लिए एक उपयोगी मार्गदर्शिका है जो गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं या जो पहले से ही गृहस्थ आश्रम में हैं. यह पुस्तक उन्हें गृहस्थ आश्रम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है और उन्हें एक अच्छे गृहस्थ बनने में मदद करती है.
गृहस्थ में कैसे रहें ( Grahstha Men Kease Rahen Pdf ) के बारे में अधिक जानकारी:-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | गृहस्थ में कैसे रहें | Grahstha Men Kease Rahen PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Swami Ramsukhdas |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 5 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 130 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
इस पाठ में एक पुस्तक के बारे में बताया गया है, जिसमें गृहस्थ के धर्म के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस पुस्तक में भगवान शंकर एवं पार्वती माता के परिवार के विविध स्वभाव का वर्णन किया गया है, जिससे उस समय के गृहस्थ धर्म की महत्वपूर्ण बातें समझाई गई हैं।
इस पुस्तक में यह भी बताया गया है कि गृहस्थ को कैसे एकता बनाए रखने की आवश्यकता है। गृहस्थ को संगठित रहने के लिए भोजन, पानी, वस्त्र, आदि का ध्यान रखना चाहिए और साथ ही साथ आज्ञापरायणता, सत्संग, और भगवान शंकर की पूजा करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। गृहस्थ को दूसरों के हित और सुख का भाव रखकर प्रेमपूर्वक एकता में रहना चाहिए।
इस पुस्तक में विवाह के बारे में भी चर्चा की गई है। विवाह करने का कारण, इसकी आवश्यकता और विवाह के बाद के धर्मिक अनुष्ठान के विषय में जानकारी दी गई है। यहां बताया गया है कि विवाह करना किस व्यक्ति की इच्छा और परिस्थिति पर निर्भर करता है और यदि किसीको विवाह करने की इच्छा नहीं है, तो वह निवृत्ति में रहकर भगवान के स्मरण में व्यस्त रह सकता है।
आखिरकार, इस पुस्तक में कलियुग में संन्यास लेने के विषय में चर्चा की गई है। यह बताया गया है कि कलियुग में संन्यास धर्म को निभाना बहुत कठिन होता है और इसलिए विवेकपूर्वक गृहस्थ जीवन का अनुसरण करना चाहिए। व्यक्ति को घर से संन्यासी धर्म में निवृत्ति होने के लिए अपने मन के साथ समझौता करने की आवश्यकता होती है और भगवान के स्मरण में ध्यान रखने के द्वारा व्यक्ति अपने आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रयास कर सकता है।
संक्षेप में कहें तो, यह पुस्तक गृहस्थ जीवन के महत्वपूर्ण धर्मिक मार्गदर्शन को समझाने वाली है और संसार में भावभीनी, मानवीय भाषा में लिखी गई है।
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