पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | अग्नि की उड़ान | Wings of Fire Hindi PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | APJ Abdul kalam |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 12 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 300 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | जीवनी और आत्मकथाएँ / Biography and Autobiography |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
विंग्स ऑफ फायर (1999), भारत के मिसाइल मैन और भारत के राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की आत्मकथा है।आत्मकथा में, कलाम अपने प्रारंभिक जीवन, प्रयास, कठिनाई, धैर्य, भाग्य, और उस अवसर की जांच करते हैं जिसने अंततः उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान, और परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों का नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया।
कलाम ने अपने करियर की शुरुआत, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से स्नातक होने के बाद की, और उन्हें एक होवरक्राफ्ट प्रोटोटाइप बनाने का काम सौंपा गया। बाद में, वह इसरो में चले गए, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना में मदद की, और पहले अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान कार्यक्रम का बीड़ा उठाया।
1990 और 2000 की शुरुआत के दौरान, कलाम भारतीय परमाणु हथियार कार्यक्रम का नेतृत्व करने के लिए डीआरडीओ में चले गए, जिसमें थर्मोन्यूक्लियर हथियारों के विकास में विशेष सफलताओं के साथ स्माइलिंग बुद्धा और एक आईसीबीएम अग्नि ऑपरेशन हुआ।
डॉ अब्दुल कलाम की जीवनी:
मेरा जन्म मद्रास राज्य (अब तमिलनाडु के रामेश्वरम् कस्बे में एक मध्यम वर्गीय तमिल परिवार में हुआ था। मेरे पिता जैनुलाबदीन की कोई बहुत अच्छी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी और न ही वे कोई बहुत धनी व्यक्ति थे। इसके बावजूद वे बुद्धिमान थे और उनमें उदारता की सच्ची भावना थी। मेरी माँ, आशियम्मा, उनकी आदर्श जीवनसंगिनी थीं। मुझे याद नहीं है कि वे रोजाना कितने लोगों को खाना खिलाती थीं; लेकिन मैं यह पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि हमारे सामूहिक परिवार में जितने लोग थे, उससे कहीं ज्यादा लोग हमारे यहाँ भोजन करते थे।
मेरे माता-पिता को हमारे समाज में एक आदर्श दंपती के रूप में देखा जाता था। मेरी माँ के खानदान का बड़ा सम्मान था और उनके एक वंशज को अंग्रेजों ने ‘बहादुर’ की पदवी भी दे डाली थी।
मैं कई बच्चों में से एक था, लंबे-चौड़े व सुंदर माता-पिता का छोटी कद काठी का साधारण सा दिखनेवाला बच्चा हम लोग अपने पुश्तैनी घर में रहते थे। यह घर उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में बना था रामेश्वरम् की मसजिदवाली गली में बना यह घर चूने पत्थर व ईंट से बना पक्का और बड़ा था।
मेरे पिता आडंबरहीन व्यक्ति थे और सभी अनावश्यक एवं ऐशो-आरामवाली चीजों से दूर रहते थे। पर घर में सभी आवश्यक चीजें समुचित मात्रा में सुलभता से उपलब्ध थीं। वास्तव में, मैं कहूँगा कि मेरा बचपन बहुत ही निश्चितता और सादेपन में बीता – भौतिक एवं भावनात्मक दोनों ही तरह से।
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