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विवाह पद्धति पीडीएफ | Vivah Paddhati PDF Download
पुस्तक का नाम (Name of Book) | विवाह पद्धति पीडीएफ | Vivah Paddhati pdf |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Anonymous |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 15 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 87 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
Vivah Paddhati PDF Summary
विवाह पद्धति एक पुस्तक है जिसमें हिंदू धर्म के अनुसार विवाह के विभिन्न विधि, रीति, रिवाज, शुभ मुहूर्त, गण मिलान, गोत्र, नक्षत्र, लग्न, मंगलिक दोष, विवाह संस्कार, विवाह मंत्र, विवाह होम, विवाह फेरे, विवाह आशीर्वाद, विवाह शादी और विवाह जीवन के बारे में बताया गया है।
इस पुस्तक में विवाह के लिए आवश्यक सामग्री, विवाह के लिए उपयुक्त वर और कन्या का चयन, विवाह के लिए शुभ दिन और समय, विवाह के लिए शुभ दिशा और स्थान, विवाह के लिए शुभ रंग और वस्त्र, विवाह के लिए शुभ रत्न और आभूषण, विवाह के लिए शुभ फूल और पत्ती, विवाह के लिए शुभ फल और मिठाई, विवाह के लिए शुभ धान्य
और दान, विवाह के लिए शुभ गान और नृत्य, विवाह के लिए शुभ शुभकामना और बधाई, विवाह के लिए शुभ टिप्स और ट्रिक्स, विवाह के लिए शुभ दोस्त और रिश्तेदार, विवाह के लिए शुभ गुरु और पंडित, विवाह के लिए शुभ देवी और देवता, विवाह के लिए शुभ योग और तारा, विवाह के लिए शुभ व्रत और त्योहार, विवाह के लिए शुभ नाम और गुण, विवाह के लिए शुभ स्वभाव
और संगति, विवाह के लिए शुभ सुख और समृद्धि, विवाह के लिए शुभ संतान और परिवार, विवाह के लिए शुभ सेवा और कर्म, विवाह के लिए शुभ धर्म और नैतिकता, विवाह के लिए शुभ प्रेम और विश्वास, विवाह के लिए शुभ सम्मान और सम्मान, विवाह के लिए शुभ वफा
और वफादारी, विवाह के लिए शुभ समझ और समझौता, विवाह के लिए शुभ सहयोग और सहानुभूति, विवाह के लिए शुभ समझदारी और समाधान, विवाह के लिए शुभ आनंद और उत्साह, विवाह के लिए शुभ शांति और शांति, विवाह के लिए शुभ आशीर्वाद और कृपा, विवाह के लिए शुभ शुभाशीष और शुभाशीष आदि बताया गया है।
अथ विवाह पद्धतिः भाषा टीका विधि सहित
प्रणम्य परमात्मानं गणेशं च गजाननम्। वर्णानां च हितार्थाय पद्धतिः क्रियते मया।।
टीका-परमात्मा और गणेश जी को प्रणाम करके वर्णों के हितार्थ विवाह पद्धति की भाषा टीका की जाती है।
(विवाह कर्म में कर्मों की संख्या)
पादत्राणविमोचनं च वरणं वाचार्चनं
विष्टरं, पाद्यं विष्टरमर्घ्यमाचमनविधिर्मधु-
पर्काङ्गन्यासौ तथा । गोमौड्यग्नि सुहस्तले-
पनविधिश्शाखाकुशैः कण्डिका। कन्या-
दानसुवस्त्र, ग्रन्थिहवनंह्यन्तरपटपरिक्रमः
॥१॥ पुनः सप्तपदीं कृत्वा वाम दक्षिणकं
तथा। दक्षिणादानसंकल्पं अक्षतांश्चैव
दापयेत् ॥२॥
टीका -(उपानह) अर्थात् जूते उतरवाना, (वरणं) पौंची बांधना, (वाचा) अर्थात् कन्या पिता के वचन, (अर्चन) अर्थात् मुकट का पूजन करना, (विष्टर) आसन, पैर धोवे, दूसरा विष्टर, अर्घ, आचमन, मधुपर्क, अंगन्यास, गौ संकल्प, मौड़ी, अग्नि, हाथ पीले, शाखोचार, कुशकण्डिका, कन्यादान, ४ वस्त्रदान, गन्ध्रि-बन्धन अर्थात् गठजोड़ा, हवन, अन्तरपट, परिक्रमा अर्थात् चार फेरे, फिर सप्तपदी अर्थात् सात वचन, बायें दाहिने होना, विवाह कराई दक्षिणा का संकल्प, देवताओं पर मन्त्र से अक्षत छोड़ना, ये उपर्युक्त कर्म क्रम से करने चाहिए।
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