पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास भाग- 1,2,3,4 | Vedic Vishwa Rashtra Ka Itihaas Bhag- 1,2,3,4 PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | P.N.Oak |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 90 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 600 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | इतिहास / History |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
लप्त अज्ञात इतिहास का दोष प्रायः साधनों या प्रमाणों के प्रभाव पर लगाया जाता है तथापि मेरा अनुभव भिन्न है। मुख्य दोष है मानव के स्वभाव का। स्वार्थ और कायरता के कारण मनुष्य या तो ऐतिहासिक प्रमाणों को देखता नहीं, समझता नहीं या समझकर भी उन्हें जानबूझकर टालता रहता है। धार्मिक और सांप्रदायिक बंधन, राजनीति के पाश, कामधन्धा, नौकरी या रोजगार की बेडियाँ आदि के कारण उसे ऐतिहासिक सत्य और तथ्य चुभते हैं या असुविधाजनक प्रतीत होते हैं। अपनी दृढ़ मान्यताओं को धक्का देनेवाले प्रमाणों को बेकार और क्षुद्र समझकर उन्हे टालने का यत्न करना मानव की सामान्य प्रवृत्ति बन जाती है।
इस बात का एक प्रत्यक्ष उदाहरण देखें पुणे नगर में एक तरुण फ्रेंच शिक्षक पॉटझर (Potser) से मेरा परिचय हुआ। मैंने उससे कहा कि ईसापूर्व समय में फ्रांस में वैदिक संस्कृति थी। इसके मुझे प्रमाण मिले हैं। यह सुनते ही वह यकायक क्रोधित हो उठा। मेरे उक्त कथन से उसके गोरे यौरोपीय ईसाई भावनाओं को ठेस पहुंची। निजी धर्मान्धता के कारण उसकी ऐसी पक्की धारणा बन गई थी कि विश्व के प्रारम्भ से यूरोप में ईसाई धर्म के अतिरिक्त प्रौर हो ही क्या सकता है? उसके क्रोधित अवस्था में उसे इस बात का भी ध्यान नहीं रहा कि ईसाई पंथ जब केवल १६०० वर्ष प्राचीन है तो उससे पूर्व फ्रांस में कोई और सभ्यता रही होगी। किन्तु ऐसी बातों का विचार करने की अवस्था में वह था ही नहीं। मन को जो कटु लगा उसे ठुकरा दिया। बस बात समाप्त हो गई।
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