पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी भाग 1,2,3,4 | Sri Guru Granth Sahib Ji All Parts |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | साहिब सिंघ, चरण सिंघ |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 30 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 609 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी
ज्यों हिन्दुओं के लिए रामायण, गीता, मुसलमानों के लिए पावन कुरान शरीफ, ईसाइयों के लिए बाइबल पूज्य है। इसी तरह सिक्खों के लिए ‘आदि ग्रंथ’ श्री गुरु ग्रंथ साहिब अद्वितीय एवं पूजनीय है। | १४३० अंगों का यह एक विशाल वाणी का ग्रंथ है। अतः सिक्ख जगत् इस ग्रंथ को एक पवित्र गुरु मानता है न कि एक धार्मिक पुस्तक ।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब अन्य धार्मिक पुस्तकों की तरह न ही इतिहास है, न ही पुराण है और न ही | किसी प्रकार की करामातों का संग्रह है। यह धार्मिक गुरुवाणी का संग्रह है, जो ब्रह्माण्ड से ज्ञान एवं विश्व की उत्पत्ति के सिद्धांत की एक झलक को प्रस्तुत करता है, इसलिए यह दुनिया में एक विलक्षण धार्मिक ग्रंथ है। सिक्ख जगत् इसे केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं मानता, अपितु वह इसे दस गुरु साहिबान की ज्योति समझकर उपासना करता है। पावन ईलाही शब्द का कोष होने के कारण वे बड़े आदर से इसकी सेवा करते हैं।
सिक्खों की धार्मिक सभाओं में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति एक पूजनीय व्यक्तित्व के रूप में समझी जाती है। इसका प्रकाश समूचे समारोह को एक पावन धार्मिक रंग में रंग देता है। वहाँ फिर इसके सम्मुख ही शीश निवाया जाता है, अन्य किसी को आदर देना योग्य नहीं समझा जाता है। जहाँ भी प्रकाश होता है, वहाँ निरन्तर उसके ऊपर चँवर किया जाता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी में फिर कीर्तन होता है और धार्मिक दीवान सुशोभित किए जाते हैं। धार्मिक पवित्रता एवं साधसंगत के बड़े प्रेम एवं श्रद्धा के कारण हर स्थान एक प्रकार का गुरुद्वारा ही बन जाता है।
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