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पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | Sampoorn Chikitsa PDF | सम्पूर्ण चिकित्सा राजीव दीक्षित PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Rajiv Dixit |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 2 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 115 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | आयुर्वेद / Ayurveda |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
Sampoorn Chikitsa By Rajiv Dixit PDF Summary
राजीव दीक्षित द्वारा संपूर्ण चिकित्सा: समग्र उपचार के लिए एक मार्गदर्शिका
प्रसिद्ध भारतीय लेखक और स्वास्थ्य अधिवक्ता राजीव दीक्षित द्वारा लिखित संपूर्ण चिकित्सा, आयुर्वेद के बारे में सिर्फ एक किताब से कहीं अधिक है। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को शामिल करते हुए समग्र जीवन जीने के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका है।
दीक्षित, प्राकृतिक उपचार और पारंपरिक भारतीय ज्ञान के एक उत्साही वकील, स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए एक सम्मोहक मामला प्रस्तुत करते हैं। वह मन, शरीर और आत्मा के अंतर्संबंध को समझने के महत्व पर जोर देते हैं, और एक में असंतुलन दूसरों को कैसे प्रभावित कर सकता है।
संपूर्ण चिकित्सा से कुछ मुख्य बातें यहां दी गई हैं:
- आयुर्वेद एक समग्र दृष्टिकोण के रूप में: पुस्तक आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डालती है, जिसमें बताया गया है कि यह स्वास्थ्य को दोषों (वात, पित्त और कफ) के नाजुक संतुलन के रूप में कैसे देखता है और आहार, जीवन शैली के माध्यम से उस संतुलन को कैसे बनाए रखा जाए। , और प्राकृतिक उपचार।
- प्राकृतिक उपचारों पर जोर: दीक्षित विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए आसानी से उपलब्ध जड़ी-बूटियों, मसालों और घरेलू उपचारों के उपयोग को बढ़ावा देते हैं। वह पाठकों को अपने पूर्वजों के ज्ञान को अपनाने और पारंपरिक प्रथाओं को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
- दवा के रूप में आहार: पुस्तक इष्टतम स्वास्थ्य के लिए संतुलित और सात्विक आहार (ताजा, मौसमी और असंसाधित खाद्य पदार्थों की विशेषता) खाने के महत्व पर जोर देती है। दीक्षित आपके शरीर के प्रकार के लिए सही भोजन चुनने पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए विशिष्ट आहार संशोधनों का सुझाव देते हैं।
- कल्याण के लिए जीवनशैली अभ्यास: संपूर्ण चिकित्सा एक स्वस्थ जीवन शैली के अन्य पहलुओं का पता लगाने के लिए आहार से परे जाती है, जिसमें योग, ध्यान, प्राणायाम (साँस लेने के व्यायाम), और उचित नींद की स्वच्छता शामिल है। दीक्षित समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए इन प्रथाओं को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने के महत्व पर जोर देते हैं।
- मन-शरीर संबंध: पुस्तक शारीरिक स्वास्थ्य पर मन के शक्तिशाली प्रभाव पर प्रकाश डालती है। दीक्षित समग्र कल्याण प्राप्त करने के लिए तनाव प्रबंधन, सकारात्मक भावनाओं को विकसित करने और दिमागीपन का अभ्यास करने के महत्व पर जोर देते हैं।
स्वदेशी चिकित्सा
भारत में जिस शास्त्र की मदद से निरोगी होकर जीवन व्यतीत करने का ज्ञान मिलता है उसे आयुर्वेद कहते है। आयुर्वेद में निरोगी होकर जीवन व्यतीत करना ही धर्म माना गया है। रोगी होकर लंबी आयु को प्राप्त करना या निरोगी होकर कम आयु को प्राप्त करना दोनों ही आयुर्वेद में मान्य नहीं है। इसलिए जो भी नागरिक अपने जीवन को निरोगी रखकर लंबी आयु चाहते हैं, उन सभी को आयुर्वेद के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए।
निरोगी जीवन के बिना किसी को भी धन की प्राप्ति, सुख की प्राप्ति, धर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती हैं। रोगी व्यक्ति किसी भी तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकता हैं। रोगी व्यक्ति कोई भी कार्य करके ठीक से धन भी नहीं कमा सकता हैं। हमारा स्वस्थ शरीर ही सभी तरह के ज्ञान को प्राप्त कर सकता हैं। शरीर के नष्ट हो जाने पर संसार की सभी वस्तुएं बेकार हैं। यदि स्वस्थ शरीर है तो सभी प्रकार के सुखों का आनन्द लिया जा सकता हैं।
दुनिया में आयुर्वेद ही एक मात्र शास्त्र या चिकित्सा पद्धति है जो मनुष्य को निरोगी जीवन देने की गारंटी देता है। बाकी अन्य सभी चिकित्सा पद्धतियों में पहले बीमार बने फिर आपका इलाज किया जायेगा, लेकिन गारंटी कुछ भी नहीं है। आयुर्वेद एक शाश्वत एवं सातत्य वाला शास्त्र हैं। इसकी उत्पत्ति सृष्टि के रचियता श्री ब्रह्माजी के द्वारा हुई ऐसा कहा जाता है। ब्रह्माजी ने आयुर्वेद का ज्ञान दक्ष प्रजापति को दिया। श्री दक्ष प्रजापति ने यह ज्ञान अश्विनी कुमारों को दिया।
उसके बाद यह ज्ञान देवताओं के राजा इन्द्र के पास पहुँचा। देवराज इन्द्र ने इस ज्ञान को ऋषियों-मुनियों जैसे आत्रेय, पुतर्वसु आदि को दिया। उसके बाद यह ज्ञान पृथ्वी पर फैलता चला गया। इस ज्ञान को पृथ्वी पर फैलाने वाले अनेक महान ऋषि एवं वैद्य हुए हैं। जो समय-समय पर आते रहे और लोगों को यह ज्ञान देते रहे हैं।
जैसे चरक ऋषि, सुश्रुत, आत्रेय ऋषि, पुनर्वसु ऋषि, कश्यप ऋषि आदि। इसी श्रृंखला में एक महान ऋषि हुए वाग्भट्ट ऋषि जिन्होंने आयुर्वेद के ज्ञान को लोगों तक पहुँचाने का लिए एक शास्त्र की रचना की, जिसका नाम “अष्टांग हृदयम्” ।
श्लोक मनुष्य जीवन को पूरी तरह निरोगी बनाने के लिए हैं। प्रस्तुत पुस्तक में कुछ श्लोक, हिन्दी अनुवाद के साथ दिये जा रहे हैं। इन श्लोंकों का सामान्य जीवन में अधिक से अधिक उपयोग हो सके इसके लिए विश्लेषण भी सरल भाषा में देने की कोशिश की गयी हैं।
भारत की जनसंख्या 127 करोड़ है व इनमें से 85% लोग शारीरिक/मानसिक रूप से बीमार हैं अर्थात् लगभग 105 करोड़ लोग बीमार हैं। 29 नंवबर 2011 की भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में डॉक्टरों और लोगों की संख्या का अनुपात 1:2000 हैं डॉक्टरों और बीमारों की संख्या का अनुपात 1:1600 हैं। एक दिन में एक डॉक्टर अधिक से अधिक 50 लोगों का इलाज कर सकता हैं
अतः जब तक, भारत के सभी डॉक्टर एक दिन में 1600 रोगियों का इलाज ना करें तब तक भारत के हर रोगी को चिकित्सा उपलब्ध कराना संभव ही नहीं व अर्जुन सेन गुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लगभग 80% लोगों की एक दिन की आय 20 रूपये हैं, इतनी सीमित व टुचपूंजी आय से किसी भी अच्छे सरकारी अथवा निजी अस्पतालों में भारत के इन 80% गरीब लोगों के लिए उपचार कराना असंभव ही हैं।
राजीव भाई’ को इस तथ्य का एहसास हो चुका था कि जब तक भारत का हर व्यक्ति अपनी बीमारी स्वयं ठीक ना करे तब तक भारत में रोगियों की संख्या घटेगी नही। इस संदर्भ में ‘राजीव भाई’ ने सन् 2007 में चेन्नई में चिकित्सा पर सात दिन का व्याख्यान दिया, इस व्याख्यान का उद्देश्य था कि हर व्यक्ति बिना डॉक्टर के व बिना एलोपैथिक, होम्योपैथिक अथवा आयुर्वेदिक औषधियों के अपनी बीमारी को स्वयं ठीक कर सकें। इस पद्धति को स्वदेशी चिकित्सा की संज्ञा दी जिसके अंतगर्त राजीव भाई ने ऐसा विकल्प दिया जो सस्ता हैं एवं बीमारियों को स्थायी रूप से बिना किसी दुष्प्रभाव के ठीक करता हैं।
संपूर्ण चिकित्सा स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण चाहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक मूल्यवान संसाधन है।
यह एक स्पष्ट और आकर्षक शैली में लिखा गया है, जो इसे आयुर्वेद के बारे में ज्ञान के सभी स्तरों के पाठकों के लिए सुलभ बनाता है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पुस्तक पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है।
यदि आपको कोई विशिष्ट स्वास्थ्य संबंधी चिंता है, तो किसी योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना हमेशा सर्वोत्तम होता है।
कुल मिलाकर, संपूर्ण चिकित्सा स्वास्थ्य पर एक ताज़ा परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है और अधिक संतुलित और पूर्ण जीवन जीने के लिए व्यावहारिक उपकरण प्रदान करती है।
यह किसी भी बुकशेल्फ़ के लिए एक मूल्यवान अतिरिक्त है, खासकर उन लोगों के लिए जो प्राकृतिक उपचार और पारंपरिक ज्ञान की शक्ति का पता लगाना चाहते हैं।
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