पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
इतिहास / Historyपुस्तक का नाम (Name of Book) | ऋग्वेद / Rigved PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | अनाम / Anonymous |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 12 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 1853 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | वेद-पुराण / Ved-Puran |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
इस ग्रंथ में ऋग्वेद की ऋचाओं का वह अनुवाद दिया हुआ है, जो अर्थ सायणाचार्य को अभीष्ट था. इस अनुवाद का आधार सायण का भाष्य है. उन्होंने जिस शब्द का जो अर्थ बताया है, वही मैंने इस अनुवाद में देने का प्रयत्न किया है.
मैंने अनुवाद करने के लिए चारों वेदों में से ऋग्वेद और ऋग्वेद के अनेक भाष्यों में से सायण भाष्य ही क्यों चुना, इसका उत्तर देने में मुझे संकोच नहीं है. ऋग्वेद भारतीय जनता एवं आर्य जाति की ही प्राचीनतम पुस्तक नहीं, विश्व की सभी भाषाओं में सबसे पुरानी पुस्तक है. सबसे प्राचीन संस्कृति – वैदिक संस्कृति के प्राचीनतम लिखित प्रमाण होने के कारण ऋग्वेद की महत्ता सर्वमान्य है. मैं इस विवाद में पड़ना नहीं चाहता कि ऋग्वेद की ऋचाओं का ऋषियों ने ईश्वरीय ज्ञान के रूप में साक्षात्कार किया था या उन्होंने स्वयं इनकी रचना की थी. वैसे ऋग्वेद में समसामयिक समाज का जिस ईमानदारी, विस्तार एवं तन्मयता से वर्णन किया गया है, उससे मेरा व्यक्तिगत विश्वास यही है कि ऋषियों ने समयसमय पर इन ऋचाओं की रचना की होगी.
सायण के अतिरिक्त ऋग्वेद पर वेंकट माधव, उद्गीथ, स्कंदस्वामी, नारायण, आनंद तीर्थ, रावण, मुद्गल, दयानंद सरस्वती आदि अनेक विद्वानों ने भाष्य लिखे हैं. इनमें किसी का भाष्य पूर्ण रूप में उपलब्ध नहीं है. केवल सायण ही ऐसे विद्वान् हैं, जिन्होंने चारों वेदों पर पूर्ण भाष्य लिखा है और वह उपलब्ध है.
सायण का जीवनकाल चौदहवीं शताब्दी है. वह विजयपुर नरेश हरिहर एवं बुक्क के मंत्री रहे थे. प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रंथ ‘माधव निदान’ लिखने वाले माधव आचार्य इन्हीं के भाई थे. किसी भी शब्द का अर्थ जानने में परंपरागत ज्ञान का बहुत महत्त्व है.
नीचे दिए गए लिंक के द्वारा आप (RIGVED HINDI ME PDF) संपूर्ण ऋग्वेद हिंदी में पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते हैं ।
डाउनलोड लिंक नीचे दिए गए हैं (DOWNLOAD LINKS ARE GIVEN BELOW) :-
ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा का आदि की भी जानकारी मिलती है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है।
इसमें इन्द्र को सर्वमान्य तथा सबसे अधिक शक्तिशाली देवता माना गया है। इन्द्र की स्तुति में ऋग्वेद में २५० ऋचाएँ हैं।
ऋग्वेद में 10,600 मंत्र है जोकि 1028 सूक्तों में बांटे गए हैं, 1028 सूक्त 85 अनुवाकों में और 85 अनुवाक 10 मण्डलों में विभाजित हैं।
ऋग्वेद किसने लिखा था? परंपरा के अनुसार, व्यास वेदों के संकलनकर्ता हैं, जिन्होंने चार प्रकार के मंत्रों को चार संहिताओं (संग्रह) में व्यवस्थित किया।
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