पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | असली प्राचीन रावण संहिता | Ravan Samhita PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | आचार्य पं० शिवकान्त झा / Acharya Pt. Shivkant Jha |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 81 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 400 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
रावण संहिता एक प्राचीन ग्रन्थ है। माना जाता है कि दशानन रावण सभी शास्त्रों का जानकार और श्रेष्ठ विद्वान था। उसने ज्योतिष, तन्त्र, मन्त्र जैसी अनेक पुस्तकों की रचना की थी। इन्हीं में से एक रावणसंहिता है। इसमें रावण ने बिल्व पत्र पूजन का विशेष महत्व बताया है। ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार रावण संहिता के अध्याय 4 में बिल्व वृक्ष से सम्बन्धित बातों का उल्लेख किया है, जिनको अपनाकर अपार लक्ष्मी प्राप्त की जा सकती है।
प्रस्तुत ग्रन्थ रावणसंहिता के प्रवर्त्तक लंकेश्वर दशानन रावण के प्रसङ्ग में देवताओं से भगवान् श्री विष्णु का यह कहना कि वे अभी उसे युद्ध में परास्त नहीं कर सकते, रावण को प्राप्त दिव्य शक्तियों की ओर ही संकेत करता है। यह अजेयता प्रजापति ब्रह्मा से प्राप्त वर के कारण ही थी। इसे प्राप्त करने के लिए रावण ने घोर तपस्या की थी। परन्तु प्राकृतिक कुछ विलक्षणता का परिणाम ही सही मनुष्यों और वानरों की उपेक्षा का फल पराजय के रूप में उसके सामने आया। लेकिन यह क्या कम महत्त्वपूर्ण है कि लंकेश को पराजित करने के लिए निराकार को साकार रूप लेना पड़ा। उनके युद्ध की चर्चा करते समय किसी ने सच ही कहा है – वैसा कोई युद्ध न कभी हुआ और न कभी होगा।
रावण ने अपने अभियान को पूरा करने के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों साधनों को अपनाया। वह तंत्रशास्त्र का परम ज्ञाता था, उसने औषध ज्ञान को स्वयं जांचा-परखा और फिर प्रयोग किया था, वह एक अच्छा दैवज्ञ भी था।
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रावण ने ही शिव तांडव स्त्रोत और शिव संहिता की रचना की थी। रावण संहिता में रावण के धनवान होने का राज सहित ऐसे तंत्र-मंत्र के बारे में भी लिखा है, जिससे गुप्त और गड़ा धन आपको मिल सकता हैं।
इसमें रावण ने बिल्व पत्र पूजन का विशेष महत्व बताया है। ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार रावण संहिता के अध्याय 4 में बिल्व वृक्ष से सम्बन्धित बातों का उल्लेख किया है, जिनको अपनाकर अपार लक्ष्मी प्राप्त की जा सकती है।
कुशीनगर : जिले के गुरवलिया निवासी पं. कामाख्या प्रकाश पाठक के घर सतयुग कालीन दुर्लभ हस्त लिखित रावण संहिता विद्यमान है।
रावण इतना शक्तिशाली भगवान शिव की पूजा कर के बना उसने भगवान शिव को अपने शीश / सिर चढ़ा कर उसने पूजा करी थी ।
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