रश्मिरथी (रामधारी सिंह दिनकर) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Rashmirathi (Ramdhari Singh Dinkar)Hindi Book PDF

रश्मिरथी हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Rashmirathi Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : रश्मिरथी | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : रामधारी सिंह दिनकर | पुस्तक का प्रकाशन लोकभारती प्रकाशन ने किया है | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB हैं | पुस्तक में कुल 113 पृष्ठ हैं |

Name of the book is :Rashmirathi | This book is published by : Lokbharti Prakashan | Approximate size of the PDF file of this book is : 1 MB. This book has a total of 113 pages.

पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-

पुस्तक का नाम (Name of Book)रश्मिरथी | Rashmirathi Pdf
पुस्तक का लेखक (Name of Author)रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)1018.4 KB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)113
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)काव्य / Poetry साहित्य / Literature

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

‘जय हो जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को, जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को। किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल, सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल ।
ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है, दया- धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है। क्षत्रिय वही भरी हो जिसमें निर्भयता की आग, सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप त्याग।
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के । हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक ।
जिसके पिता सूर्य थे, माता कुन्ती सती कुमारी, उसका पलना हुआ धार पर बहती हुई पिटारी । सूत वंश में पला, चखा भी नहीं जननि का क्षीर, निकला कर्ण सभी युवकों में तब भी अद्भुत वीर।

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