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पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | फलित राजेन्द्र | Phalit Rajendra PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Brajesh Pathak |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 213 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | ज्योतिष / Astrology |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
Phalit Rajendra in Hindi PDF Summary
फलित ज्योतिष के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध ग्रंथ, “फलित ज्योतिष” पुस्तक ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के सिद्धांतों और तकनीकों को विस्तार से समझाती है। लेखक ब्रजेश पाठक ने ज्योतिष के विभिन्न पहलुओं को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया है, जिससे यह पुस्तक ज्योतिष सीखने के इच्छुक लोगों के लिए एक उत्कृष्ट संदर्भ है।
पुस्तक की शुरुआत में ज्योतिष के मूलभूत सिद्धांतों की व्याख्या की गई है, जिसमें राशियों, ग्रहों, नक्षत्रों और भावों का महत्व बताया गया है। इसके बाद, पुस्तक में विभिन्न ज्योतिषीय शाखाओं जैसे कि फलित ज्योतिष, प्रश्न ज्योतिष, चिकित्सा ज्योतिष और मुहूर्त ज्योतिष का विस्तार से वर्णन किया गया है।
फलित ज्योतिष अनुभाग में, पुस्तक में विभिन्न ज्योतिषीय तकनीकों जैसे कि कुंडली विश्लेषण, दशा प्रणाली, गोचर फल और योगों की व्याख्या की गई है। साथ ही, पुस्तक में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि करियर, धन, स्वास्थ्य, विवाह और संतान से संबंधित भविष्यवाणियों के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया गया है।
प्रश्न ज्योतिष अनुभाग में, पुस्तक में प्रश्न ज्योतिष के सिद्धांतों और तकनीकों को समझाया गया है, जिससे पाठक किसी भी प्रश्न का उत्तर ज्योतिषीय गणनाओं के माध्यम से प्राप्त करना सीख सकते हैं।
चिकित्सा ज्योतिष अनुभाग में, पुस्तक में ज्योतिष के माध्यम से बीमारियों के निदान और उपचार के बारे में बताया गया है। साथ ही, पुस्तक में विभिन्न बीमारियों के लिए ज्योतिषीय उपायों का सुझाव दिया गया है।
मुहूर्त ज्योतिष अनुभाग में, पुस्तक में किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ समय का चयन करने की प्रक्रिया को समझाया गया है। साथ ही, पुस्तक में विभिन्न मुहूर्तों के महत्व और उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है।
कुल मिलाकर, “फलित ज्योतिष” पुस्तक ज्योतिष के क्षेत्र में एक व्यापक और उपयोगी संदर्भ है। यह पुस्तक ज्योतिष सीखने के इच्छुक लोगों के लिए एक उत्कृष्ट शुरुआत है, साथ ही साथ अनुभवी ज्योतिषियों के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन है।
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“30 Days Astrology Programme Book” फलित राजेन्द्र PDF
“मेरे फलादेशों से प्रभावित होकर कई लोगों ने मुझसे अनेकों बार आग्रह किया कि वे भी ज्योतिष-शास्त्र में रुचि रखते हैं अतएव मैं उन्हें ज्योतिष शास्त्र का सामान्य परिचय करा दूँ, ताकि वे अपने ज्ञान को आगे बढ़ा सकें, ज्योतिष सीखने की इच्छा को पूरा कर सकें, ज्योतिष शास्त्र की भाषा को समझ सकें।
मैंने कई लोगों को प्रत्यक्ष रूप में एवं कई लोगों को मोबाइल फोन के माध्यम से पढ़ाया भी, परन्तु प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग पढ़ाना सम्भव नहीं था। प्रतिदिन नवीन सम्पर्क बढ़ने से नए जिज्ञासु भी मिलते रहते हैं। इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने 30 Days Astrology Programme तैयार करना प्रारम्भ किया । ग्रन्थ लिखने की पहली प्रेरणा मुझे अपने मामाजी (डॉ. दाताराम पाठक जी) से मिली। ग्रन्थ का यह स्वरूप मित्र पीयूष कुमार की प्रेरणा से तैयार हुआ ।
इस ग्रंथरत्न को तैयार करने में मुझे अपने गुरुजनों, आदरणीय डॉ. विन्ध्येश्वर पाण्डेय गुरुजी, डॉ. अशोक थपलियाल गुरुजी और श्री वैद्यनाथ मिश्र गुरुजी का भरपूर सहयोग व आशीर्वाद मिला। इस ग्रन्थ को लिखते समय माता-पिता के द्वारा समय समायोजन में भरपूर सहायता मिली। टाइपिंग के समय छोटे भाई बहन, आशुतोष, रानी व राधिका ने अच्छा सहयोग किया।
मैं अपने सभी गुरुजनों का, पारिवारिक सदस्यों का और मित्रों का कोटि कोटि आभार प्रकट करता हूँ। यहाँ पर मेरी आराध्या भगवती शाकम्भरी देवी का वात्सल्य और मेरे स्व. दादाजी श्री हरिहर पाठक जी का आशीर्वाद सदैव ही मेरा सम्बल सिद्ध हुआ है।
मेरे कुछ ऐसे भी मित्र हैं जिन्होंने मेरी इतनी सहायता की है जिसका वर्णन शब्दों में सम्भव नहीं है। मैं उनके प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता अभिव्यक्त करता हूँ, उनके ही निवेदन पर यहाँ उनका नामोल्लेख नहीं किया जा रहा है। ग्रन्थ के टंकण-संशोधन, वर्तनी-समायोजन में तथा अन्यान्य समस्याओं के समाधान में श्रीभागवतानंद गुरुजी (श्रीनिग्रहाचार्य) का भरपूर सहयोग यथासमय मिलता रहा। उनके प्रति अपना स्नेह व्यक्त करता हूँ | यह ग्रन्थ मैंने अपने आदरणीय पिताजी को समर्पित किया है, ग्रन्थ का नाम उनके ही नाम पर ‘फलित राजेन्द्र’ रखा गया है।
यह कहने की आवश्यकता नहीं कि प्राचीन ग्रन्थों के आधार पर ही यह ग्रन्थ स्थित है | जब मैं इसका लेखन कर रहा था, बार बार मुझे उलझनें हो रही थीं। इतना विशाल कलेवर जिस शास्त्र का हो उस शास्त्र को मैं 30 दिनों में कैसे पढ़ा दूँ ? सम्भव ही नहीं है। इस काम को छोड़ देना चाहिए । लिखते समय भी निर्णय करना मुश्किल था कि किस बात को छोड़ दूँ और किस बात को पढ़ा दूँ ? अस्तु, मैंने बहुत साहस करके अन्ततः यह धृष्टता कर ही दी। बहुत उहापोह के बाद, दो महीने के अथक परिश्रम का परिणाम आपके हाथों में हैं, मुझे इस बात की कितनी प्रसन्नता है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता ।
यह पाठ्यक्रम ३० दिनों का है, इसका तात्पर्य है कि आप इसे प्रारम्भ करने के बाद अपने जीवन के ३० दिन केवल ज्योतिष शास्त्र को ही समर्पित करेंगें । ज्योतिष-शास्त्र का कलेवर बहुत विशाल है, इसे ३० दिनों में सम्पूर्णता से पढ़ लेना कभी सम्भव नहीं है। आप इस पाठ्यक्रम में केवल ज्योतिष शास्त्र का सामान्य परिचय प्राप्त करेंगे एवं कुण्डली का अध्ययन करना सीखेंगे।
जिनको कुण्डली बनाना सीखना हो या जिनको ज्योतिष शास्त्र के अन्य विधाओं का ज्ञान करना हो, वे लोग शास्त्रीय ग्रन्थों एवं परम्परागत गुरुजनों का आश्रय लें ।
आजकल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के द्वारा कुण्डली बनाना सरल ही है- आप हिन्दू कैलंडर, वेब ज्योतिषी, दुर्लभ जैन, पाराशर लाइट आदि के सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके सही कुण्डली बना सकते हैं।
एक सफल ज्योतिषी बनने के लिए इस पाठ्यक्रम को कंठस्थ कर लेना होगा एवं बारम्बार अभ्यास के द्वारा अपने व्यवहार में उतारना होगा।
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