पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | पंचतंत्र हिंदी-संस्कृत | Panchtantra Hindi-SanskritPDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | विष्णु शर्मा / Vishnu Sharma |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 14 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 536 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | कहानियाँ / Stories |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
भारतवर्ष जिस प्रकार अनेक विद्याओका भंडार है इसी प्रकारे यहांकी नीतिप्रणाली भी अद्वितीय है, ससारमे रहकर जो नीतिशास्त्रसे वंचित हुआ है। मानो उसने बहुत कुछ नहीं जाना और एक प्रकारसे मानो संसार मे उसका आगमन निरर्थक ही है, हमारे इस देशके पूर्वज महानुभाव दिव्यस्वभाव त्रिका लज्ञ महायागी आचार्यांने जन्मग्रहण करके अपने अनन्त ज्ञानकी महिमासे इस जगत्को अनन्त अनादि जानकर अपने अप्रतिहत योगबलसे ब्रह्म और ब्रह्मवि यक सम्पूर्ण तन्त्र निरूपण करादेये है, तवसे लेकर इस पृथ्वीपर कितनेही राजाओका आविर्भाव और तिरोभाव, तथा वसुंबरापर कितनी बार विश्व और हुआ है तथा जनसमूहका कितनीबार परिवर्तन हुआ है किन्तु उन महर्षियो के योगबल से निर्मित वह सकल ग्रन्थ ध्रुवकी समान प्रकाशमान होरहे हैं,
उनके इन ज्ञानपूर्ण रत्नोके कारण आजतक यह भारतभूमि जगत्म रत्नभंडार नामसे विख्यात है उन्हीं अमूल्य रत्नोमेसे यह नीतिमय ग्रन्थ “पंच “तंत्र” एक अनुपम रत्न है, इसके निर्माण करनेवाले महापंडित विष्णुशर्मा है। यह अति प्राचीन कालके महापंडित है । इन्होने अति प्राचीन समयके महर्षि मनु, बृहस्पति, शुक्र, वाल्मीकि, पराशर, व्यास, चाणक्य प्रभृति महात्माओके बहुत काल पश्चात् जन्मग्रहण किया है, मधुमक्षिका जिस प्रकार अनेक पुष्पों रसग्रहणकर अपूर्व मधुकी रचना करती है
, विष्णुशर्मा भी इसी प्रकार अपने पूर्ववर्ती पंडितो के शास्त्र से सार ग्रहण करके पंचतन्त्रको निर्माण किया है, इसके उपदेश सबही अवस्थाम मनुष्यमात्रको उपयोगी है, क्या योगी, क्या भोगी सवही को यह समान उपकारक है । इससे योगी योगसिद्धि, भोगी पवित्र भोगशक्ति, रोगी रोगशान्ति, शोकार्त शाकशान्तिको प्राप्त होता है । राजा, प्रजा, गृहस्थ, संन्यासी, पंडित, मूर्ख, धनी, निर्धन, वालक, वृद्ध, युवा, आतुर सवकोही यह स्नेहमयी माताकी समान सुखदायक है ।
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