पुस्तक के कुछ मशीनी अंश:
भारत के सांस्कृतिक दूत कुम्भ पर्व में नागा साधु व उनके अखाड़े अपनी तड़क-भड़क, शान-शौकत तथा नानाविध गतिविधियों के कारण तीर्थयात्रियों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। अखाड़ा नागा साधुओं का एक विशिष्ट संगठन है तथा इनका एक गौरवशाली इतिहास रहा है। इन अखाड़ों का उदय सनातन धर्म तथा संस्कृति की रक्षा के लिए हुआ था। अखाड़े केवल नागा साधुओं के आश्रय स्थल ही नहीं हैं अपितु इन्होंने मुगलकाल तथा उत्तर मुगलकाल में प्रयागराज एवं देश के राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनका इतिहास अत्यंत रोचक व महत्वपूर्ण है। मध्यकाल में ये नागा योद्धा-संतों के रूप में प्रसिद्ध थे। इनके इतिहास को जानने का इतिहासकारों द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया है।
पुस्तक का नाम (Name of Book) | नागा संन्यासियों का इतिहास |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Dr. Ashok Tripathi |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 427MB |
कुल पृष्ठ (Total pages ) | 400 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | इतिहास |
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