मेरे गुरुदेव (Mere Gurudev by Swami Vivekanand PDF ) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | मेरे गुरुदेव / Mere Gurudev |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Swami Vivekanand |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 2 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 56 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
(स्वामी विवेकानन्दची द्वारा न्यू पार्क में दिया हुआ भाषण)
भगवान् श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है- “जब जब धर्म का हास होता है तथा अधर्म की बढ़ती होती , तब तब मनुष्यजाति के उद्धार के निमित्त में अवतार लेता हूँ ।” जब कभी हमारे इस संसार में क्रमागत परिवर्तन तथा भिन्न भिन्न परिस्थितियों के कारण नये नये सामाजिक शक्ति सामंजस्य की आवश्यकता होती है, उस समय एक शक्तितरंग आती है बीर मनुष्य के आध्यात्मिक तथा भौतिक क्षेत्रों में विचरण करने के कारण इन दोनों क्षेत्रों में ही इस तरंग का प्रभाव पड़ता है। एक बोर भौतिक क्षेत्र में आधुनिक समय में प्रधानतः यूरोप ने ही सामंजस्य स्थापित किया है और दूसरी ओर आध्यात्मिक क्षेत्र में सारे संसार के इतिहास में एशिया ही समन्वय का मुख्य आधार रहा है।
आज आध्यात्मिक क्षेत्र में समन्वय की पुन: आवश्यकता है- आज, जब कि जड़वाद अपनी शक्ति तथा कीर्ति के शिखर पर है तथा जब यह सम्भव हो रहा है कि मनुष्य जड़ वस्तुओं पर अधिकाधिक अवलम्बित रहने से अपनी देवी प्रकृति भूलकर केवल धनोपार्जन का एक यन्त्र मात्र ही न बन जाये, समन्वय की बड़ी बागश्यकता है। ऐसे अवसर के लिए ईश्वर वाणी हो चुकी है बोर ऐसी देवी शक्ति का बागमन हो रहा है जो बढ़ते हुए बड़वादरूपी मेवों को तितरवितर कर देगी। इस शक्ति के बोल का आरम्भ हो चुका है और यह शक्ति ही मानवजाति में उसकी वास्तविक प्रकृति की स्मृति का संचार कर देगी; और वह स्थान, जहां जहां वह शक्ति सर्व दिशाओं में प्रसारित होगी, फिर एशिया ही होगी ।
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