Mahakrantikari Mangal Pandey (Hindi) biography PDF | महाक्रान्तिकारी मंगल पांडे – जीवनी

Mangal Pandey (Hindi) biography PDF ( मंगल पांडे – जीवनी) Book PDF Details:

पुस्तक का नाम (Name of Book)Mahakrantikari Mangal Pandey (Hindi) biography PDF | महाक्रान्तिकारी मंगल पांडे – जीवनी
पुस्तक का लेखक (Name of Author)अनाम / Anonymous
पुस्तक की भाषा (Language of Book)Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)2 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)81
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)जीवनी और आत्मकथाएँ / Biography and Autobiography

Mangal Pandey (Hindi) biography PDF Book Summary

8 अप्रैल, 1857 के दिन बैरकपुर छावनी की रेजिमेंट के सिपाही को फौजी अनुशासन भंग करने और हत्या के अपराध में फाँसी पर चढ़ाया गया। फाँसी देने के लिए कोई स्थानीय जल्लाद नहीं मिला तो कलकत्ता से चार जल्लाद बुलाकर इस फौजी को फाँसी दी गई। यह फौजी था- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम शहीद मंगल पांडे। अजीमुल्ला खाँ द्वारा तैयार की गई 31 मई, 1857 के गदर की योजना को नाना साहेब पेशवा ने क्रियान्वित किया, पर मातृभूमि की आजादी के लिए प्राण न्योछावर करने वाले प्रथम योद्धा बने मंगल पांडे।

बैरकपुर की 19 नंबर रेजिमेंट में जब यह खबर फैली कि अंग्रेजों द्वारा गाय व सूअर की चरबी के प्रयोगवाले कारतूस आए हैं, तो वहाँ असंतोष फैल गया। 31 मई, 1857 को गदर की तैयारी के लिए बैरकपुर में रेजिमेंट का मुखिया वजीर अली खाँ को बनाया गया था। कारतूसों को इस्तेमाल करने से इनकार कर देने के कारण अंग्रेजों ने रेजिमेंट को निःशस्त्र करने की योजना बनाई। इन परिस्थितियों ने मंगल पांडेय को गुलामी की बेडियाँ काटने के लिए उद्वेलित कर दिया।

29 मार्च, 1857 को बैरकपुर छावनी के अपने कमरे में बैठे मंगल पांडे ने अपनी बंदूक उठाकर उसे माथे से लगाकर चूमा। भारतमाता की बारंबार स्तुति करते हुए बंदूक में गोली भरी, फिर परेड ग्राउंड की तरफ चल पड़े। साथियों ने रोका, मंगल पांडे ने ललकारा “व्यर्थ प्रतीक्षा मत करो। चलो, आज ही फैसला करो। आज ही फिरंगियों का सफाया करो।” उन्होंने धर्म की सौगंध देते हुए ललकारा-“स्वतंत्रता की देवी तुम्हें पुकार रही है और कह रही है कि तुम्हें धोखेबाज व मक्कार शत्रुओं के खिलाफ फौरन आक्रमण बोल देना चाहिए। अब और रुकने की आवश्यकता नहीं है।”

मंगल पांडे ने सिंहनाद कर दिया, तभी वहाँ सार्जेंट मेजर ह्यूसन आ गया। और उसने मंगल पांडे की गिरफ्तारी का आदेश दिया, पर सब ने उसकी अनसुनी कर दी। इतने में मंगल पांडे की बंदूक से गोली छूटी और सार्जेंट ह्यूसन जमीन चाटने लगा। दूसरा अंग्रेज अफसर लेफ्टिनेंट बॉब घोड़े पर सवार होकर मंगल पांडे की तरफ झपटा।

मंगल ने दूसरी गोली चला दी, जो घोड़े को लगी और वह बॉब को लिये दिए गिर पड़ा। बॉब ने पिस्टल से मंगल पांडे पर फायर किया, मगर निशाना चूक गया। इतने में मंगल ने तलवार से बॉब को मौत के घाट उतार दिया। इसी समय एक अंग्रेज ने पीछे से मंगल पर हमला किया, तभी एक भारतीय सिपाही ने जोर से बंदूक का कुंदा उसके सिर पर दे मारा, जिससे अंग्रेज का सिर फट गया और वह धरती पर गिर पड़ा।

इतने में विद्रोह की खबर कर्नल ह्वीलर को मिली। परेड ग्राउंड में पहुँचकर उसने भारतीय सैनिकों को आज्ञा दी- पांडे को गिरफ्तार करो। जवाब में सिपाहियों के बीच से सिंहनाद हुआ-” खबरदार, कोई मंगल पांडे को हाथ न लगाए। हम उनका बाल भी बाँका न होने देंगे।” कर्नल ह्वीलर ने अंग्रेजों की लाशें देखों, मंगल पांडे का रक्त से सना शरीर देखा, विद्रोह के मुहाने पर खड़ी फौज को देखा और कुछ सोचता हुआ लौट गया। उसने जनरल हियर्से को खबर की।

अंग्रेज सेना के साथ हियर्स परेड ग्राउंड में आ धमका। मंगल पांडे ने अंग्रेज सेना को आते देखकर गर्जना की “भाइयो, बगावत करो, बगावत करो। अब देर करना उचित नहीं। देश को तुम्हारा बलिदान चाहिए।” पर भारतीय सिपाही 31 मई की तय तारीख और क्रांतिकारी आंदोलन के अनुशासन के कारण शांत रहे।

मंगल पांडे ने तत्काल अपनी छाती पर नाल रखकर गोली चला दी। वे नहीं चाहते थे कि अंग्रेज उन्हें जीवित पकड़कर उनकी दुर्गति कर दें, पर दुर्भाग्य से वे मरे नहीं। अंग्रेजों ने फौजी अस्पताल में उनका इलाज करवाया

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