ममता (Mamta) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | ममता / Mamta |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Jaishankar Prasad |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 17 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Stories |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
रोहतास यदुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युवती ममता, शोण के तीक्ष्ण गम्भीर प्रवाह को देख रही है। ममता विधवा थी। उसका यौवन शोण के समान ही उमड़ रहा था। मन में वेदना, मस्तक में आँधी, आँखों में पानी की बरसात लिए, वह सुख के कंटक यशयन में विकल थी।
वह रोहतास यदुर्गपति के मंत्री चूड़ामणि की अकेली दुहिता थी, फिर उसके लिए कुछ अभाव होना असम्भव था, परन्तु वह विधवा थी- हिन्दू विधवा संसार में सबसे तुच्छ निराश्रय प्राणी है तब उसकी विडंबना का कहाँ अंत था ?
चूड़ामणि ने चुपचाप उसके प्रकोष्ठ में प्रवेश किया। शोण के प्रवाह में, उसके कल यनाद में, अपना जीवन मिलाने में वह बेसुध थी। पिता का आना न जान सकी।
चूड़ामणि व्यथित हो उठे। स्नेह यपालिता पुत्री के लिए क्या करें, यह स्थिर न कर सकते थे। लौटकर बाहर चले गए। ऐसा प्रायः होता, पर आज मंत्री के मन में बड़ी दुश्चिंता थी। पैर सीधे न पड़ते थे।
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