‘महामृत्युंजय जप विधि बुक PDF Free Download’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Maha Mrityunjaya Jap Vidhi pdf download’ using the download button.
पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | महामृत्युंजय जप विधि | Maha Mrityunjaya Jap Vidhi PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Hanuman Sharma |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 10 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 36 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
Maha Mrityunjaya Jap Vidhi PDF in Hindi Summary
महामृत्युञ्जयके उपयोगी विषय
१ प्रयोग का प्रयोजन
महामृत्युञ्जयका प्रयोग नीचे लिखे कामों में प्रयो- जनीय होता है, (१) यदि जन्म, मास, गोचराष्टक और दशा विदशा आदि में ग्रहजन्य पीडा होनेका योग हो, (२) किसी महारोगसे कोई पीडित हो, (३) भाई आदिका वियोग होरहा हो, (४) नगरमें महामारी आदिसे लोग मर रहे हों, (५) राज्य जाता रहा हो, (६) धनहीनताको ग्लानि हो, (७) किसीने शीघ्र मृत्यु होनेकी कहदी हो, (८) मेलापकमें नाडीदोष आता हो, (९) राजभय हो, (१०) मनके धर्मका विपर्यय होगया हो, (११) राष्ट्रके टुकड़े हो गये हों, (१२) मनुष्योंसे परस्परमें घोर क्लेश होरहा हो, (१३) और त्रिदोषजन्य दुनिवार्य रोग हों तो ऐसे अवसरोंमें यथाप्रमित और यथाविधि महामृत्युञ्जयके जप करवाने चाहिये ।।
Read Also: – 1. ब्रह्माण्ड और ज्योतिष रहस्य | Brahmaand aur Jyotish Rahasy PDFBook In Hindi 2. फलित राजेन्द्र :फलित राजेन्द्र : 30 दिनों में ज्योतिष सीखे | Phalit Rajendra PDF
२ कार्य के अनुसार प्रयोगका प्रमाण
(१) यदि किसी प्रकारको महामारी आदिसे या अन्य प्रकार से देशमें महाउपद्रव या अशांति हो रही हो तो ऐसे कामोंकी रोकके लिये महामृत्युञ्जयके एककरोड़ जप कराने चाहिये । (२) यदि किसी प्रकारका सामान्य रोग हो, खोटा स्वप्न हुआ हो या और कुछ भय हो तो सवा लाख जप कराने चाहिये । (३) यदि अल्पमृत्युका भय हो अथवा कुछ संदिग्ध दुर्वार्ता सुनी हो तो दश हजार जप कराने चाहिये । (४) यदि कुछ यात्राका भय हो तो एक हजार जप कराने चाहिये । (५) और अभीष्टसिद्धिके लिये, पुत्रप्राप्तिके लिये, राज्यपद प्राप्तिके अथवा यथेच्छ मान संमान या धनलाभाविके लिये सवा लक्ष का पुरश्चरण कराना चाहिये ।।
३ प्रयोगविधि
(१) कोई भी प्रयोग किसी कार्यके निमित्त किया जाय उसको शास्त्रोक्त विधिके अनुसार यथासमयही करना चाहिये । आपत्तिसे ग्रसित होजानेपर मनमाने मार्गसे ऊटपटांग काम करना अच्छा नहीं। (२) कदाचित् किसी कार्यविशेषके कारण विवश होकर अचानक सहसा प्रयोग करानेका प्रयोजन पडजाय तो उस समय अच्छी वेला में इसका तात्कालिक प्रयोग कराना चाहिये
और यदि (३) सब प्रकारको सानुकूलता हो और किसी महत्प्रयोजनीय कार्य सिद्धिके लिये प्रयोग कराना हो तो मुहर्तज्ञ (ज्योतिषी) से चन्द्र तारादि बलसंयुक्त अच्छे मुहूर्तका दिन निश्चय करवाके शिवालय या सौम्य देवालय अथवा किसी सिद्ध- स्थानकी कल्पना करके उसको झाड बुहार लीप पोत धोकर आसन भूमिका कूर्म शोधन और दीपस्थानको शुद्ध करे ।
Leave a Comment