लाल किताब 1941 | Lal Kitab (Laal Kitaab) 1941 PDF in Hindi Download Free

लाल किताब – 1941 | Lal Kitab (Laal Kitaab) – 1941 के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक का नाम (Name of Book)लाल किताब – 1941 | Lal Kitab – 1941
पुस्तक का लेखक (Name of Author)Pandit Roopchand Joshi
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)11 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)521
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)Astrology

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

लाल किताब के तरीके को संक्षिप्त में देखने से पता चलेगा कि लाल किताब में सिर्फ़ जन्म कुंडली ही बनाई जाती है जो प्रचलित ज्योतिष के अनुसार बनती है। बस एक ही अंतर है कि लग्न में जो भी राषि हो, वहां मेष लिख दिया जाता है पहले घर में हमेशा मेष राशि ही क्यों होती है, इसके पीछे क्या तर्क है, इसका जवाब लाल किताब की व्याक्रण पढ़ने से पता चल जायेगा।

व क्रम से सभी घरों में आगे के अंक लिख दिए जाते हैं पर ग्रहों की स्थिति नहीं बदली जाती। कुंडली के हर घर व ग्रह के लिए कारक वस्तुएं निश्चित कर दी गई हैं जिन का असर जातक व उस के परिवार पर होता है। यही नहीं, जातक के घर, व उस में रखे मवेशी, पालतू जानवर, पेड़ पौधे व घर का अन्य सामान इत्यादि सभी का असर जातक पर होता है। हर ग्रह का प्रत्येक घर में नेक (शुभ) या बद (अशुभ) असर हो सकता है। सभी ग्रहों की अच्छी या बुरी अवस्था में होने वाली निशानियां भी लिखी गई हैं या उन की ओर इशारा कर दिया गया है।

जिस से यह फैसला दो लफ़्ज़ी में यानि केवल दो शब्दों में हो जाता है कि क्या ग्रह शुभ असर का है या अशुभ असर का उदाहरण के तौर पर यदि किसी का सूर्य एक विशेष घर में नीच हुआ बैठा हो तो यदि ऐसा व्यक्ति मांस मदिरा का सेवन करता है तो उस का लड़का बीमार ही रहेगा। ऐसा होने से केवल दो शब्दों से ही आप को सूर्य की हालत का इशारा मिल गया। उस के निवारण के लिए दिया गया उपाय कर लेने से लगभग फ़ौरन लाभ मिलता है।

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