क्या ईश्वर मर गया हैं (Kya Ishwar Mar Gaya Hai by Osho PDF ) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | क्या ईश्वर मर गया हैं / Kya Ishwar Mar Gya Hai |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Osho |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 68 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Adhyatm |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
जो मर जाए वह ईश्वर ही नहीं
एक छोटी सी कहानी से मैं आज की चर्चा प्रारंभ करना चाहूंगा।
एक सुबह की बात है।
एक पहाड़ से एक व्यक्ति गीत गाता हुआ नीचे उतर रहा था। उसकी आंखों में किसी बात को खोज लेने का प्रकाश था। उसके हृदय में किसी सत्य को जान लेने की खुशी थी। उसके कदमों में उस सत्य को दूसरे लोगों तक पहुंचा देने की गति
थी। वह बहुत उत्साह और आनंद से भरा हुआ प्रतीत हो रहा था।
अकेला था वह पहाड़ के रास्ते पर और नीचे मैदान की ओर उतर रहा था। बीच में उसे एक बूढ़ा आदमी मिला, जो की तरफ, ऊपर को चढ़ रहा था। पहाड़
उस व्यक्ति ने उस बूढ़े आदमी से पूछा- तुम किसलिए पहाड़ पर जा रहे हो?
उसे बूढ़े ने कहा – परमात्मा की खोज के लिए !
और वह व्यक्ति, जो पहाड़ से नीचे की तरफ उतरा आ रहा था, यह सुनकर बहुत जोर से हंसने लगा और उसने कहा – क्या यह भी हो सकता है, तुम्हें वह दुखद समाचार अभी तक नहीं मिला?
उस बूढ़े आदमी ने पूछा- कौन – सा समाचार है ?
तो उस व्यक्ति ने कहा—क्या तुम्हें अभी तक पता नहीं कि ईश्वर मर चुका है? तुम किसे खोजने जा रहे हो? क्या जमीन पर और नीचे मैदानों में अब तक यह खबर नहीं पहुंची कि ईश्वर मर चुका है? मैं पहाड़ से ही आ रहा हूं। मैं भी ईश्वर को खोजने गया था, लेकिन वहां जाकर मैंने भी ईश्वर को नहीं, ईश्वर की लाश को पाया। और क्या दुनिया तभी विश्वास करेगी, जब उसे अपने हाथों से दफना देगी? क्या यह खबर अब तक नहीं पहुंची ?
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