पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | क्या भारत का इतिहास शत्रुओं द्वारा लिखा गया है / Kya Bharat Ka Itihaas Shatruo Dwara Likha Gaya Hai |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | P.N.Oak |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 5 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 42 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | इतिहास / History |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
यदि इतिहास से हमारा अर्थ किसी देश के तथ्यात्मक एवं तिथिक्रमागत सही-सही भूतकालिक वर्णन से हो, तो हमें वर्तमान समय में प्रचलित भारतीय इतिहास को काल्पनिक ‘अरेबियन नाइट्स’ की श्रेणी में रखना होगा।
इस लेख में मैंने भारतीय इतिहास-परिशोध की कुछ भयंकर भूलों की ओर इंगित किया है। जो भूलें यहाँ सूची में आ गई हैं, केवल वे ही अंतिम रूप में भूलें नहीं हैं। भारतीय और विश्व इतिहास पर पुनः दृष्टि डालने एवं प्राचीन मान्यताओं का प्रभाव अपने ऊपर न होने देने वाले विद्वानों के लिए अन्वेषण का कितना विशाल क्षेत्र उनकी बाट जोह रहा है, केवल यह दिखलाने के लिए ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं।
हमारी शिक्षा संस्थाओं में आज जिस प्रकार भारतीय इतिहास पढ़ाया जा रहा है, हमारे अनुसंधान संगठनों में आज जिन भ्रमकारी धारणाओं पर इसे देखा जा रहा है, और आज जिस प्रकार इसको सरकारी और विश्वविद्यालयीय माध्यमों में विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है, वह समस्त भयावह स्थिति मुझे अत्यंत दुःख दे रही है।
भारतीय इतिहास में जिन विशाल सीमाओं तक अयथार्थ और मनघड़ंत विवरण गहराई तक पैठ चुके हैं, वह राष्ट्रीय घोर संकट के समान है। जो अधिक दुःखदायी बात है, वह यह है कि प्रचलित ऐतिहासिक पुस्तकों में समाविष्ट इन तोड़मरोड़ों, भ्रष्ट वर्णनों और विसंगतियों के अतिरिक्त अनेक विलुप्त अध्याय भी हैं। इन विलुप्त अध्यायों का सम्बंध विशेष रूप में उस साम्राज्यशाली प्रभुत्व से है जो भारतीय क्षत्रियों को दक्षिण-पूर्व प्रशांत महासागर में बाली द्वीप से उत्तर में बाल्टिक सागर, तथा कोरिया से अरेबिया और सम्भवतः, मैक्सिको तक प्राप्त था। कम-से-कम, उसी विशाल क्षेत्र में तो वे दिग्विजयें (सभी दिशाओं को विजय करना) हुई थीं जो हम बहुधा भारतीय वाङ्मय में पाते हैं। हमारे (आधुनिक) इतिहास ग्रंथ उन पराक्रमों का कुछ भी उल्लेख नहीं करते।
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