Kanupriya – Dharamveer Bharti Book PDF Details:
पुस्तक का नाम (Name of Book) | कनुप्रिया / Kanupriya |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Dharamveer Bharti |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 4 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 79 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | कविताएँ / Poetry |
Kanupriya – Dharamveer Bharti Book PDF Summary
धर्मवीर भारती की काव्य गाथा “कनुप्रिया”, राधा-कृष्ण पौराणिक कथाओं के लेंस के माध्यम से दिव्य और मानवीय क्षेत्रों की गहन खोज है। कथा एकालापों की एक श्रृंखला में सामने आती है जहां राधा, मानव प्रेम और भक्ति का प्रतीक, अनंत परमात्मा कृष्ण के लिए अपनी तीव्र भावनाओं से जूझती है।
भारती ‘विरह’ (पृथक्करण) के सौंदर्यशास्त्र पर प्रकाश डालती हैं जो भक्ति काव्य का केंद्र है, राधा की लालसा और अलगाव के दर्द को आध्यात्मिक जागृति और आत्म-खोज के मार्ग के रूप में प्रस्तुत करती है।
“कनुप्रिया” धर्मवीर भारती की एक अनुपम कृति है, जो कविता के माध्यम से राधा-कृष्ण की अमर प्रेम कहानी को नए आयाम देती है। इस पुस्तक के विभिन्न संस्करणों की जानकारी इस प्रकार है:
- प्रथम संस्करण (१६५६): इस संस्करण के प्रकाशन के साथ ही “कनुप्रिया” ने हिंदी साहित्य में अपनी एक विशेष पहचान बनाई।
- द्वितीय संस्करण (१६६४): इस संस्करण में कुछ नई कविताओं का समावेश किया गया था।
- तृतीय संस्करण (3336): इस संस्करण में पुस्तक की लोकप्रियता को देखते हुए और भी अधिक सुधार किए गए।
- चतुर्थ संस्करण (१६७२): इस संस्करण में कविताओं की भाषा और शैली में और अधिक परिष्कार किया गया।
- पञ्चम संस्करण (१६७६) और षष्ठ संस्करण (१६७८): इन संस्करणों में पुस्तक की सामग्री और प्रस्तुति में विस्तार और सुधार किए गए।
- सप्तम संस्करण (१६८१) और अष्टम संस्करण (१६८४): इन संस्करणों में पुस्तक की गहराई और विस्तार को और भी बढ़ाया गया, जिससे यह कृति और भी अधिक समृद्ध हुई।
“कनुप्रिया” की कविताएँ न केवल भावनात्मक गहराई को छूती हैं, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता की ओर भी मार्गदर्शन करती हैं। इस पुस्तक के प्रत्येक संस्करण ने साहित्यिक उत्कृष्टता के नए मानदंड स्थापित किए हैं और पाठकों को एक अलग ही अनुभव प्रदान किया है।123
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