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Kalsarp Yog aivm Shap Dosh Shanti Book PDF

Kalsarp Yog aivm Shap Dosh Shanti Book PDF | कालसर्प योग एवं शाप दोष शान्ति

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Category: धार्मिक / Religious, संस्कृत ग्रन्थ / Sanskrit Granth

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Table of Contents

Kalsarp Yog aivm Shap Dosh Shanti Book PDF Details:

पुस्तक का नाम (Name of Book)काल सर्प योग | Kaal Sarp Yog
पुस्तक का लेखक (Name of Author)Pandit Ramesh Chand Mishra
पुस्तक की भाषा (Language of Book)Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)125 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)436
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)धार्मिक / Religious

Kalsarp Yog aivm Shap Dosh Shanti Book Summary

कालसर्प दोष की शांति के लिए करें ये उपाय

  1. रुद्राभिषेक, शिव पूजन, पार्थिवशिव पूजन, महामृत्युंजय प्रयोग, नाग पूजा, नागविसर्जन, नागवलि, नारायणबलि, त्रिपिण्डी श्राद्ध, तर्पण, राहु पूजा, तुलादान, आदि प्रयोग प्रचलित हैं।
  2. चन्दन की लकड़ी के ५-७ मनके प्रत्येक बुधवार, शुक्रवार, शनिवार को राहु काल में शिव मंदिर में चढ़ाएं।
  3. राहु काल में चन्दन का इत्र भगवान शिव को चढ़ाएं।
  4. प्रतिदिन राहुकाल में मूली, गन्दा पानी, नदी, तालाब में डालें।
  5. घोड़े की सेवा करें, चनादाल खिलाएं, पैर में नाल ठुकाएं।
  6. जौ और अनार दूध में मिलाकर पानी में बहाएं।
  7. गूलर की लकड़ी, चन्दन की लकड़ी के नाग शिव मंदिर में चढ़ाएं।
  8. नाग पंचमी को दूध, जल, शहद, फलों का रस, चन्दन इत्र से रुद्राभिषेक करें।
  9. नाग पंचमी को शिव मंदिर में सफाई, मरम्मत, रंग, पुताई का कार्य कराएं।
  10. प्रत्येक शनिवार को कुत्ते को दूध रोटी खिलाएं।
  11. गाय, कौआ को तेल के छींटे देकर रसोई की पहली रोटी खिलाएं।
  12. अपने घर में शुद्ध जगह पर मोरपंख रखें।
  13. बारह महीनों में प्रत्येक संक्रांति पर घर में गंगाजल और गौमूत्र का छिड़काव करें।
  14. बुधवार, शनिवार को राहुकाल में राहु मंत्र का जप करें या रात्रि में मंत्र जप करें।
  15. राहु के हवन हेतु दूर्वा का प्रयोग करें। नागेन्द्रहाराय ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
  16. शिवलिंग पर प्रतिदिन मिश्री या शक्कर का भोग तथा दूध चढ़ाएं।
  17. नारियल के गोले में गुड़, सप्तधान्य, उड़द की दाल, सरसों भरकर बहते जल में या गंदे नाले में राहुकाल के समय बुधवार या शनिवार को डालें।
  18. अमावस्या की रात्रि में ५ नारियल के गोले तथा १-२ किलो कोयले बहते पानी में डालें। तीन अमावस्या तक करें।
  19. शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करें।
  20. अगर घर में अशांति हो तो मंगलवार को किसी बर्तन में कोयले जलाकर लोबान की धूप करें।
  21. कीट-मकोड़े चीटियों के विपरीत रखें।
  22. गुप्त शत्रु के भय हो तो तांबा या चांदी के ५ सर्प बनाएं उनकी आंखों में सुरमा डालकर शिव मंदिर में चढ़ाएं।
  23. श्रावण मास में रुद्राभिषेक कराएं।
  24. श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध के १०८ पाठ करें।
  25. घर में मोर मुकुट और बाँसुरी वाले कृष्ण की पूजा करें।
  26. कालिया नाग के दमन के समय नाचते हुए कृष्ण का चित्र लगाएं।
  27. पलाश के फूल, गौमूत्र में भिगोकर सुखाएं, उनका चूर्ण करें। उस चूर्ण में थोड़ा चूर्ण चन्दन, साँप की बांबी की मिटटी मिलाकर पानी में डालकर स्नान करें।
  28. शिवलिंग पर आक, धत्तूर, दूध, दही, शहद, चन्दन का इत्र चढ़ाने से लाभ मिलेगा।
  29. यदि जैन मत से कर्म करना है तो राहु के लिए पद्मावती, पार्श्वनाथ की पूजा तथा केतु के लिए नेमिनाथ का शांति विधान करें।
  30. विशेष शांति हेतु २७ बृहस्पतिवार तक यह प्रयोग करें।
  31. परिवार के प्रत्येक सदस्य के हाथ से ३-३ रुपये, ३ हल्दी की गांठे, थोड़ी-थोड़ी केसर, ३० ग्राम चना दाल, १०० ग्राम गुड़ एकत्रित करें। हल्दी व केसर का चूर्ण बनाएं। उसमें गाय का दूध व गंगाजल मिलाकर शिवलिंग के लेपन करें। चना दाल व गुड़ गाय या बैल को खिलाएं तथा रुपये मंदिर में दान करें।
  32. हर बृहस्पतिवार अलग-अलग शिवलिंगों पर परिवार के सभी सदस्य पूजा करें।
  33. यदि किसी गाँव में २७ शिवलिंग नहीं मिलें तो उनकी पुनरावृत्ति से पूजन करें।
  34. पितृदोष शांति हेतु विशेष प्रयोग – ४१ दिन तक लगातार ५ कोडियों को रातभर आँगन में तपाकर भस्म बना लें। प्रातः काल किसी शिव मंदिर में जाकर दूध व जल चढ़ाकर उस भस्म से त्रिपुण्ड करें।
  35. डिप्रेशन की भावना होने पर गाय का दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र, शंख भस्म, मुक्ता भस्म, चन्दन चूर्ण, गुलाब जल, सादे जल में डालकर स्नान करें। पितृ शांति से आत्मबल में वृद्धि होगी। यह प्रयोग ९ सोमवार करें।
  36. श्वेत वस्त्र, चावल, शक्कर, दूध, दही, घी, श्वेत पुष्प शिव मंदिर में अर्पित करें।
  37. राज भय होने पर लालचंदन, लाल पुष्प, बेल वृक्ष की छाल, जटामांशी एवं हींग का काढ़ा बनाएं। इसमें मालकांगणी तेल मिलाएं। नित्य इन द्रव्यों को पानी में डालकर स्नान करें तो ग्रह पीड़ा दूर होगी।
  38. भूमि विवाद एवं त्वचा रोग में मंगल का उपाय करें – मंगलवार को राहुकाल में लालवस्त्र, लाल मसूर, गुड़, गेहूं, चन्दन का इत्र, लाल कनेर के पुष्प शिव मंदिर में कार्तिकेय को अर्पित करें।
  39. अविवाहित योग के कारण चिंता हो तो प्रवाल भस्म, चन्दन इत्र, गुलाब के फूलों का रस या इत्र मिलाकर शिवलिंग पर त्रिपुण्ड करें। ९० दिन तक यह प्रयोग करें।
  40. २७ या ५४ बार निम्न मन्त्र का जप करें – “ॐ गङ्गाधराय भूमिसुताय नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय।”
  41. समृद्धि हेतु २० शुक्रवार को पूरे शरीर में मक्खन की मालिश करें और जल में मिश्री डालकर स्नान करें। पान के पत्ते पर २० ग्राम मक्खन और १० ग्राम मिश्री शिवजी को अर्पित करें।
  42. राहु-बुध योग में २३ बुधवार को शिवलिंग पर भांग चढ़ाएं।
  43. राहु-बृहस्पति योग में ब्राह्मणों को दान करें।
  44. राहु-मंगल योग में गरीबों को दवा हेतु धन दान करें।
  45. राहु-केतु योग में गौमाता के लिए दान करें।
  46. राहु-शनि योग में अन्न दान करें।
  47. राहु-सूर्य योग में आध्यात्मिक विद्या के लिए दान करें।
  48. राहु-चन्द्र योग में पीपल के वृक्ष की सेवा करें।
  49. अन्य उपायों की तरह, राहु के लिए ज्यादातर पूजा, मन्त्र, दान, सेवा, तप, योगाभ्यास, ध्यान आदि करने से भी लाभ मिल सकता है।

इन सभी उपायों को सही समय, सही विधि और सही भाव से करना चाहिए। यह विभिन्न आध्यात्मिक ग्रंथों और ज्योतिषीय गणित के आधार पर सुझाए गए हैं। इन्हें करने से पहले एक विशेषज्ञ या पंडित से परामर्श लेना उचित होगा।

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