पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | कल्कि पुराण | Kalki Purana PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | वेदव्यास / Veda Vyasa |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 2606 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | वेद-पुराण / Ved-Puran |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
हमारे शास्त्र और पुराण प्रमाणित करते हैं 1. अभी कलियुग चल रहा है जिसकी आयु 4 लाख 32 हजार वर्ष है । . कलि के 5090 वर्ष बीत चुके हैं और उसका अभी प्रथम चरण चल रह है।
कलियुग के चौथे चरण में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा जो कलियुग का नाश कर सत्युग की स्थापना करेगा। इसका अर्थ यह है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होने में अभी लाखों वर्ष का समय शेष है। अब प्रश्न यह उठता है कि जिस अवतार को प्रगट होने में लाखों वर्ष लगेंगे उसको अभी क्यों मानें ? उसकी पूजा क्यों करे ? उसकी पूजा करके क्या मिलेगा ? हम इसके विश्लेषण का प्रयत्न करते हैं- यह जगत | नारायण और दैवी शक्तियों का लीला संसार है । इनके द्वारा बहुत सी लीलाएं रची जाती हैं जिनमें सबसे मुख्य है नारायण का अवतार धारण करना ( अवतार | केवल नारायण धारण करते ब्रह्मा और शिव नहीं ) । नारायण जगत के | पालक हैं, धर्म के संरक्षक हैं। पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करना और भक्तों की रक्षा | करना उनका प्रथम दायित्व है । इसी दायित्व को निभाने कि लिये वो अवतार धारण करते हैं। सतयुग के आरम्भ से ही उन्होंने अपने अवतार धारण करने की प्रक्रिया को एक ही प्रतिज्ञा में बांधा है जिसका उदघोष उन्होंने गीता में किया है
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः
अभ्युत्थानं अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यमहम्।
अवतार किसी समय सीमा में बंधा नहीं होता । उसके प्राकट्य के अपने माप दण्ड होते हैं । नारायण का यह उदघोष अधर्मी और आसुरी शक्तियों को उनकी ललकार है कि जिस क्षण तुम्हारे अत्याचारों से मेरे द्वारा स्थापित यह मापदण्ड टूट जाएंगे (जो इस बात का प्रमाण होंगे कि पृथ्वी पाप के बोझ को और नहीं उठा सकती है तथा मेरे भक्त भी अब और अत्याचार नहीं सह सकते हैं) उसी क्षण मैं भी समय की सभी सीमाएं तोड़कर अवतार धारण करूंगा।
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