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Hastrekha Rahasya Hindi PDF Download
पुस्तक का नाम (Name of Book) | हस्तरेखा रहस्य | Hastrekha Rahasya Hindi PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Dr. Narayan Dutt Shrimali |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 44 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 120 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | ज्योतिष / Astrology |
Hastrekha Rahasya Hindi PDF Summary
हस्त-परीक्षा
हाथ का अध्ययन किस प्रकार करना चाहिए ? मणिबन्ध से मध्यमा अँगुली के छोर तक का ज़ो भाग है, वह ‘हस्त’ के रूप में जाना जाता है। हस्त- परीक्षा के लिए भारतीय आचार्यों ने कहा है-
मणिबन्धं पाणि युगलं तस्य च पृष्ठं तलं ततो रेखा अंगुष्ठों गलयो नख लक्षण मथवानु पूविकया वक्ष्ये
अर्थात्
१. सब से पहले मणिबन्ध पर दृष्टि डालनी चाहिए, २. फिर सरसरी दृष्टि पूरे हाथ पर डालनी चाहिए,
३. फिर हाथों को उलटकर उसके पृष्ठभाग का अध्ययन करना चाहिए।
४. फिर हाथ सीधा कर उसका मध्यमभाग देखना चाहिए। ५. फिर पर्वत, पर्वत से जुड़ी हुई उँगलियाँ और अंगुष्ठ को
देखना चाहिए ।
६. और फिर उँगलियों के पैर एवं नखों का निरीक्षण करना चाहिए ।
इस प्रकार से हस्तरेखाविद् को हाथ की परीक्षा का श्रीगणेश करना चाहिए ।
हाथ देखने की विधि
- हस्तरेखा देखने का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल है, जब कि पृच्छक ने नाश्ता-भोजन न किया हो । मेरे अनुभव में यह आया है कि भोजन करने पर उसकी ऊष्मा से रक्त संचार में त्वरता आ जाती है, फलस्वरूप महीन रेखाएँ अदृश्य-सी हो जाती हैं, जिसे कि बाद में सूक्ष्मदर्शक यन्त्र से ही देखना सम्भव होता है ।
- हाथ दिखाने से पूर्व पृच्छक स्वयं स्नान किया हुआ, पवित्र हो । नींद से उठा हुआ, गन्दा और आलस्ययुक्त शरीर वातावरण को बोझिल-सा बना देता है।
- हाथ दिखाने से पूर्व हाथ को साबुन से साफ कर लेना चाहिए ।
- अत्यधिक भोजन करने के वाद या व्यायाम करने के बाद भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए। कार्य करते-करते उठकर भी हाथ दिखाना उचित नहीं, क्योंकि हाथ से परिश्रम करने से उसका वास्तविक रंग मिटा हुआ होता है ।
- अत्यधिक गरमी में, अत्यधिक सर्दी में और अत्यधिक वर्षा हो रही हो उस समय भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए, क्योंकि गरमी पड़ने से स्वभावतः हथेली ज्यादा लाल नजर आयेगी और उसका वास्तविक रंग नहीं दीख सकेगा। यही स्थिति अत्यधिक सर्दी या वर्षा के समय होती है ।
- शराब पिया हुआ, नशा किया हुआ और असहजावस्था में मी हस्तरेखाविद् को हाथ नहीं देखना चाहिए ।
- जहाँ ऊपर के तथ्य पृच्छक के लिए जरूरी हैं, वहीं हस्त- रेखाविद् को भी चाहिए कि वह हाथ तभी देखे, जव उसकी वृत्तियाँ शान्त हों, वह चिन्तित न हो, क्रोधादि भावना में न हो, तथा किसी कारण से उद्विग्न या परेशान न हो।
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