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हम क्या खाएँ घास या मांस pdf – Ham Kya Khayen Ghas Ya Mans PDF Download
पुस्तक का नाम (Name of Book) | हम क्या खाएँ घास या मांस | Ham Kya Khayen Ghas Ya Mans PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Pt. Gangaprasad Upadhyay |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 18 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 113 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Educational Books |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
कौन वैजीटेरियन नहीं है?
चन्द्रदेव शर्मा-मौलवी साहेब, नमस्ते! कहिए, चित्त तो प्रसन्न है? आज आपसे बहुत दिनों में भेंट हुई!
कबीर बख्श – आदाब अर्ज! पण्डितजी, आदाब अर्ज! आपकी मेहरबानी है, अल्लाह का शुक्र है। कहिए, आपका मिजाज तो अच्छा है? बाल-बच्चे अच्छे हैं!
चन्द्रदेव – ईश्वर की दया है। कोई नई बात सुनाइए।
कबीर – हमारे मुहल्ले में दो दिनों से कुछ लोगों में बड़ी दिलचस्प बहस चल रही है। दो पार्टियाँ हो गई हैं। एक घास पार्टी और दूसरी मांस पार्टी। कहिए, पण्डितजी, आप किस पार्टी में हैं?
चन्द्रदेव – मौलवी साहेब! साफ बात तो यह है कि न मैं घास पार्टी में हूँ न मांस पार्टी में। मुझे इन दोनों में से किसी में होना पसन्द नहीं।
कबीर – यह कैसे?
चन्द्रदेव – मैं बैल नहीं कि घास खाऊँ और भेड़िया नहीं कि मांस खाऊँ। मैं तो मनुष्य हूँ और मानवीय भोजन करता हूँ। मेरी तो पार्टी ही अलग है, मैं रोटी पार्टी में हूँ, खीर पार्टी में हूँ, लड्डू पार्टी में हूँ, हलवा पार्टी में हूँ, सेब और नाशपाती पार्टी में हूँ, अङ्गर पार्टी में और मोहनभोग पार्टी में। घास मुझसे खाई नहीं जाती और मांस से घृणा है।
कबीर – मालूम हो गया। पण्डितजी, आप वेजिटेरियन (Vegetarian) अर्थात् शाकाहारी हैं।
चन्द्रदेव – वेजिटेरियन (Vegetarian) तो आप भी हैं।
कबीर – नहीं-नहीं। मैं तो नॉन-वेजिटेरियन (Non-Vegetarian) अर्थात् अ-निरामिष-भोजी हूँ।
चन्द्रदेव – मैंने भारतवर्ष भर में कोई नॉन-वेजिटेरियन नहीं देखा। शायद ग्रीनलैण्ड या अफ्रीका के अत्यन्त असभ्य प्रदेशों में कोई नॉन-वेजिटेरियन मिले तो मिले, परन्तु यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान, अरब, भारतवर्ष आदि में कोई नॉन-वेजिटेरियन है ही नहीं।
कबीर – पण्डितजी! ऐसी बात! आँखों में धूल! मैं साक्षात् आपके सामने खड़ा हूँ। मैं नॉन-वेजिटेरियन हूँ।
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