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पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | Gorakhnath Durlabh Shabar Mantra Tantrik Bahal PDF | गोरखनाथ दुर्लभ शाबर मंत्र तांत्रिक बहल PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Tantrik Bahal |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 79 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 218 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | तंत्र विद्या/Tantra Vidya |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
Gorakhnath Durlabh Shabar Mantra PDF Summary
“गोरखनाथ दुर्लभ शाबर मंत्र तांत्रिक बहल” एक प्राचीन ग्रंथ है जो गोरखनाथ द्वारा रचित है। यह ग्रंथ शाबर मंत्रों का एक विशाल संग्रह है, जो तांत्रिक अनुष्ठानों में उपयोग किए जाते हैं। इन मंत्रों का उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि धन, सफलता, प्रेम, स्वास्थ्य, और रक्षा प्राप्त करना।
ग्रंथ की शुरुआत में, गोरखनाथ शाबर मंत्रों के महत्व और उपयोग के बारे में एक परिचय प्रदान करते हैं। वे बताते हैं कि शाबर मंत्र सरल और सीखने में आसान होते हैं, लेकिन वे अत्यधिक शक्तिशाली होते हैं। वे सभी प्रकार के लोगों के लिए उपयुक्त होते हैं, चाहे उनकी कोई भी धार्मिक या आध्यात्मिक मान्यता हो।
ग्रंथ के बादशाह में, गोरखनाथ विभिन्न प्रकार के शाबर मंत्रों का वर्णन करते हैं। इन मंत्रों को विभिन्न विषयों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे कि धन, सफलता, प्रेम, स्वास्थ्य, और रक्षा। प्रत्येक मंत्र के साथ, गोरखनाथ मंत्र के उपयोग और प्रभाव के बारे में एक संक्षिप्त विवरण प्रदान करते हैं।
ग्रंथ का अंत एक मंत्रावली के साथ होता है। इसमें विभिन्न प्रकार के शाबर मंत्रों की एक सूची दी गई है, जिनका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
“गोरखनाथ दुर्लभ शाबर मंत्र तांत्रिक बहल” एक मूल्यवान ग्रंथ है जो शाबर मंत्रों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो शाबर मंत्रों का उपयोग करना सीखना चाहते हैं।
यह कैसे आश्चर्य की बात है कि मैंने अपनी पुस्तक के प्रारंभिक अध्याय का नाम ‘मुझे भी कुछ कहना है’, न रखकर ‘तंत्र की खोज, सत्य की खोज’ रखा है। इसका कारण यह है कि मुझे जो भी कहना है, तंत्र के बारे में ही कहना है और वास्तव में तंत्र सत्य का ही दूसरा स्वरूप है।
यही विचार कर मैंने अपनी पुस्तक के प्रथम अध्याय का शीर्षक ‘तंत्र की खोज, सत्य की खोज’ रखा, तंत्र का दूसरा स्वरूप शक्ति भी है। तांत्रिक शक्ति का पुजारी होता है और साधु शिव का अनुयायी होता है। बाहरी रूप देखने पर दोनों अलग-अलग प्रतीत होते हैं, पर भीतर से एक ही हैं। शिव और शक्ति दोनों एक ही हैं (देखें अर्द्धनारीश्वर रूप पृष्ठ 9 पर ।)।
शक्ति की खोज हजारों वर्ष से चल रही है। आदि मानव को सर्वप्रथम स्त्री में सृजन शक्ति का अनुभव हुआ, फिर वह सृजन और संहार के मध्य शक्ति के खेल को जानने-पहचानने और उसे वश में करने में लग गया। तृणमूल को जन्म देती शाकंभरी यानी पृथ्वी, शक्ति के उपासकों की परंपरा में अनादिकाल की देन है।
वैदिक काल में शक्ति की परिभाषा बदल गई। समाज पुरुष प्रधान बन गया, लेकिन देवताओं की मां अदिति, अनंत, निबंध शक्ति की परिभाषा बनी रहीं। उन्होंने आदित्यों को जन्म दिया। इंद्र, वरुण, मित्र, अर्यमन, भग, दक्ष, रुद्र जैसे प्रतापी देवता उनके पुत्र थे। कहा गया है कि हर जन्म लेने वाला प्राणी अदिति की ही संतान होगा।
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