पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | Gau Seva ke Chamatkar PDF| गऊ सेवा के चमत्कार PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | गीता प्रेस / Geeta Press |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 13 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 50 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
Gau Seva ke Chamatkar Book PDF Summary
गऊ सेवा के चमत्कार एक पुस्तक है जिसमें गौमाता की सेवा के लाभ और महत्व को बताया गया है। इस पुस्तक में गौसेवा का इतिहास, धार्मिक, आध्यात्मिक, आरोग्य, वातावरण, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक में गौमाता के विभिन्न रूप, गौशाला का महत्व, गौमूत्र और गोबर के गुण, गौमाता की आरती, गौमाता की दशा और दिशा, गौमाता की रक्षा और संरक्षण, गौमाता के प्रति भक्ति
और समर्पण, गौमाता के प्रति न्याय और करुणा, गौमाता के प्रति विश्वास और विश्वास, गौमाता के प्रति आशीर्वाद और कृपा, गौमाता के प्रति आदर और प्रेम, गौमाता के प्रति श्रद्धा और भक्ति, गौमाता के प्रति नमन और अर्पण, गौमाता के प्रति धन्यवाद और अभिवादन, गौमाता के प्रति निष्ठा और सेवा, गौमाता के प्रति ज्ञान और अनुभव, गौमाता के प्रति साधना और सिद्धि, गौमाता के प्रति चमत्कार और चरित्र, गौमाता के प्रति उपासना और उपलब्धि, गौमाता के प्रति समर्पण और समाधि आदि विषयों पर विस्तार से लिखा गया है।
इस पुस्तक का उद्देश्य गौमाता के प्रति जागरूकता, जिम्मेदारी, संवेदनशीलता, सम्मान, सहयोग, सहानुभूति, सहकार्य, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग, सहयोग और सहयोग बढ़ाना है।
इस पुस्तक को पढ़कर पाठक गौमाता के चमत्कारों को अनुभव कर सकते हैं और उनके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य, खुशी, आनंद, शक्ति, श्रेष्ठता, श्रद्धा, भक्ति, निष्ठा, सेवा, ज्ञान, अनुभव, साधना, सिद्धि, उपासना, उपलब्धि, समर्पण और समाधि प्राप्त कर सकते हैं।
गायों को महिमा अपार है। प्राचीनसे अर्वाचीन साहित्यतक तथा लोकजीवनमें भी गोमहिमाकी परम्परा सर्वत्र व्याप्त है। इसीलिये प्राचीनकालमें आजकी अपेक्षा प्रायः सभी गो- सेवापरायण थे और गायें भी बहुत अधिक थीं, जिससे समग्र देशमें गो-जाति, गव्य-पदार्थ, श्रेष्ठ अन्न, सुख-शान्ति एवं समृद्धिका बाहुल्य था। यह प्रसिद्ध है कि देशमें दूध-दहीकी नदियाँ बहती
थीं।
वर्तमान कालक्रमसे दुर्भाग्यवश आधुनिक सभ्यताके चाकचिक्यके कारण सात्त्विकतासे विचलितः मनवाले लोग गो-भक्तिसे दूर हो रहे हैं, जिससे गो-वंशकी भारी उपेक्षा होती जा रही है और गायोंको संख्या नगण्य-सी रह गयी है। परिणामतः देशमें दुःख-दारिद्र्धका विस्तार हो रहा है और लोगोंमें हिंसा, क्रोध, लोभ तथा विलासिता बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि सर्वत्र अशान्ति भी व्याप्त होने लगी है।
कल्याण में समय-समयपर गो-सेवाके दिव्य चमत्कारोंका प्रकाशन होता आया है। उन्होंमेंसे कुछ विशेष उपयोगी सामग्रीका संकलन कर लोकोपकारकी दृष्टिसे प्रस्तुत लघु पुस्तिका प्रकाशित की जा रही है। इसके अध्ययनसे लोगों को कुछ दृष्टि बदल सकती है, ऐसी आशा है। यदि ऐसा कुछ हुआ तो इसमें गो-गोविन्दका ही अनुग्रह मानना चाहिये।
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