(Free) Garud Puran Book in Hindi | गरुड पुराण पीडीऍफ़

गरुड़ पुराण के रहस्यों की जानकारी- Garud Puran Book

इसमें मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है इसीलिए यह पुराण मृतक को सुनाया जाता है। 13 दिनों तक मृतक अपनों के बीच ही रहता है। इस दौरान गरुड़ पुराण का पाठ रखने से वह स्वर्ग-नरक, गति-सद्गति, अधोगति, दुर्गति आदि कई तरह की गतियों के बारे में जान लेता है। आगे की यात्रा में उसे किन-किन बातों का सामना करना पड़ेगा, कौन से लोक में उसका गमन हो सकता है, ये सभी वह गरुड़ पुराण सुन कर जान लेता है।

गरुण पुराण के अंतगर्त किसी भी व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात् उसका श्राद्ध कर्म, और उसका पिंड दान आवश्यक बताया गया है ताकि उसके आत्मा को शांति प्राप्त हो ! यह उपाए पिता के लिए पुत्र को बताया गया है ! पुत्र ही पिता का पिंड दान और श्राद्ध कर्म करके उन्हें नर्क से बचाता है ! इसमें हमारे जीवन को लेकर कई गूढ़ बातें बताई गई हैं।

गरुड़ पुराण के 19 हजार श्लोकों में से बचे 7 हजार श्लोकों में गरुड़ पुराण में ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, आत्मा, स्वर्ग-नरक और अन्य लोकों का वर्णन मिलता है। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप, तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व-साधारण को प्रवृत्त करने के लिए लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। पूर्व जन्म में जातक ने जैसे कर्म किए होते हैं, उन्हीं के आधार पर वह पृथ्वी पर नया जन्म लेता है।

Garud Puran Pdf in Hindi | Benefits, Uses

नारायणं नमस्कृत्य चैव नरोत्तमम् । देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ॥ नरश्रेष्ठ भगवान् श्रीनर नारायण और भगवती सरस्वती तथा व्यासदेवको नमन करके पुराणकी चर्चा करनी चाहिये।
पुराण वाङ्मयमें गरुडपुराणका महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि सर्वप्रथम परब्रह्म परमात्मप्रभु साक्षात् भगवान् विष्णुने ब्रह्मादि देवताओंसहित देवदेवेश्वर भगवान् रुद्रदेवको सभी शास्त्रोंमें सारभूत तथा महान् अर्थ बतानेवाले इस ‘गरुडमहापुराण’ को सुनाया था।

एक बार तीर्थयात्रा के प्रसंग में सर्वशास्त्रपारंगत शान्तचित्त महात्मा सूतजी नैमिषारण्य में पधारे, वहाँ शौनकादि ऋषि मुनियोंने उनकी पूजा की और जिज्ञासारूपमें कुछ प्रश्न भी किये। प्रश्नोंके समाधानमें सूतजीने गरुडमहापुराणकी कथा उन ऋषि महर्षियोंको सुनायी। सूतजीने यह कथा भगवान् व्यासजीसे सुनी थी, व्यासजीको यह कथा पितामह ब्रह्मासे प्राप्त हुई। वास्तवमें मूलरूपसे इस महापुराणको गरुडजीने कश्यप ऋषिको सुनाया था।

प्राचीनकालमें पृथ्वीपर पक्षिराज गरुडने तपस्याके द्वारा भगवान् विष्णुकी आराधना की, जिससे संतुष्ट होकर प्रभुने अभीष्ट वर माँगनेके लिये कहा। गरुडने भगवान्‌से निवेदन किया कि नागोंने मेरी माता विनताको दासी बना लिया है। हे देव! आप प्रसन्न होकर मुझे यह वरदान प्रदान करें कि मैं उनको जीतकर अमृत प्राप्त करनेमें समर्थ हो सकूँ और माँको नागोंकी माता कद्दूकी दासतासे मुक्त करा सकूँ। मैं आपका वाहन बनूँ और नागोंको विदीर्ण करनेमें समर्थ हो सकूँ तथा जिस प्रकार पुराणसंहिताका रचनाकार हो सकूँ, वैसा ही करनेकी कृपा करें।

भगवान् श्रीहरिने पक्षिराज गरुडको ये अभीष्ट वरदान प्रदान किये तथा कहा कि आप अत्यन्त शक्तिसम्पन्न होकर मेरे वाहन बनेंगे। विषोंके विनाशको शक्ति भी आपको प्राप्त होगी, मेरी कृपासे आप मेरे ही माहात्म्यको कहनेवाली पुराणसंहिताका प्रणयन करेंगे। मेरा जैसा स्वरूप कहा गया है, वैसा ही आपमें भी प्रकट होगा। आपके द्वारा प्रणीत यह प्राप्त करता है। पुराणसंहिता, आपके ‘गरुड’ नामसे लोकमें प्रसिद्ध होगी।

‘हे विनतासुत! जिस प्रकार देवदेवोंके मध्य में ऐश्वर्य और श्रीरूपमें विख्यात है, उसी प्रकार हे गरुड ! सभी पुराणोंमें यह गरुडमहापुराण भी ख्याति अर्जित करेगा। जैसे विश्वमें मेरा कीर्तन होता है, वैसे ही गरुड नामसे आपका भी संकीर्तन होगा। हे पक्षिश्रेष्ठ! आप मेरा ध्यान करके उस पुराणका प्रणयन करें

यथाहं देवदेवानां श्रीः ख्यातो विनतासुत तथा ख्यातिं पुराणेषु गारुडे गरुडैष्यति । यथाहं कीर्तनीयोऽथ तथा त्वं गरुडात्मना । मां ध्यात्वा पक्षिमुख्येदं पुराणं गद गारुडम्॥

भगवान्‌के द्वारा यह वरदान दिये जानेके बाद, इसी सम्बन्धमें कश्यप ऋषिके द्वारा पूछे जानेपर गरुड़ने इसी पुराणको उन्हें सुनाया। कश्यपने इस गरुडमहापुराणका श्रवण करके ‘गारुडी विद्या’ के बलसे एक जले हुए वृक्षको भी जीवित कर दिया था। गरुडने स्वयं भी इसी विद्याके द्वारा अनेक प्राणियोंको जीवित किया था।

इस गरुडमहापुराणके प्रारम्भमें सर्ग वर्णन किया गया है तदनन्तर देवार्चनकी विधियाँ प्रस्तुत की गयी हैं, ‘विष्णुपञ्जरस्तोत्र’ कहा गया है, जो जीवोंके लिये अत्यन्त कल्याणकारी है। इसके बाद भोग और मोक्षको प्रदान करनेवाले ध्यानयोगका वर्णन हुआ है

‘मैं जगत्‌का साक्षी, जगत्‌का नियन्ता और परमानन्दस्वरूप हूँ। जाग्रत्, स्वप्न और सुषुप्ति- इन सभी अवस्थाओंमें जगत्‌का साक्षी होते हुए भी मैं इन अवस्थाओंसे रहित हूँ, मैं ही तुरीय ब्रह्म और विधाता हूँ। मैं दृग्रूप अर्थात् समस्त प्रपञ्चका द्रष्टा, दृश्य एवं दृष्टि हूँ। मैं हो निर्गुण, मुक्त, बुद्ध, शुद्ध-प्रबुद्ध, अजर, सर्वव्यापी, सत्यस्वरूप एवं शिवस्वरूप परमात्मा हूँ।’

इस प्रकार जो विद्वान् इन परमपद परमेश्वरका ध्यान करते हैं, वे निश्चय ही ईश्वरका सारूप्य प्राप्त कर लेते हैं। यह स्वयं श्रीहरि भूतभावन भगवान् शङ्करसे कहते हैं कि हे सुव्रत शङ्कर! आपसे ही इस ध्यानयोगकी चर्चा मैंने की है। जो व्यक्ति सदैव इस ध्यानयोगका पाठ (मनन-चिन्तन) करता है, वह विष्णुलोकको प्राप्त करता है।

What is Garud Puran Pdf in Hindi (गरुण पुराण क्या है)

गरुड़ पुराण वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित एक महापुराण है। यह सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है। इसलिये सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं।

अठारह महापुराणों में ‘ गरुडमहापुराण’ का अपना एक विशेष महत्त्व है। इसके अधिष्ठातृदेव भगवान् विष्णु हैं, अतः यह वैष्णव पुराण है। इसके माहात्म्यमें कहा गया है—’यथा सुराणां प्रवरो जनार्दनो यथायुधानां प्रवरः सुदर्शनम्। तथा पुराणेषु च गारुडं च मुख्यं तदाहुर्हरितत्त्वदर्शने ॥’ जैसे देवोंमें जनार्दन श्रेष्ठ हैं और आयुधोंमें सुदर्शन चक्र श्रेष्ठ है, वैसे ही पुराणोंमें यह गरुडपुराण हरिके तत्त्वनिरूपणमें मुख्य कहा गया है। जिस मनुष्यके हाथमें यह गरुडमहापुराण विद्यमान है, उसके हाथमें नीतियोंका कोश है। जो मनुष्य इस पुराणका पाठ करता है अथवा इसको सुनता है, वह भोग और मोक्ष- दोनोंको प्राप्त कर लेता है।


यह पुराण मुख्यरूपसे पूर्वखण्ड ( आचारकाण्ड), उत्तरखण्ड ( धर्मकाण्ड-प्रेतकल्प) और ब्रह्मकाण्ड – तीन खण्डोंमें विभक्त है। इसके पूर्वखण्ड (आचारकाण्ड) में सृष्टिकी उत्पत्ति, ध्रुवचरित्र, द्वादश आदित्योंकी कथाएँ, सूर्य, चन्द्रादि ग्रहोंके मन्त्र, उपासनाविधि, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचारकी महिमा, यज्ञ, दान, तप, तीर्थसेवन तथा सत्कर्मानुष्ठानसे अनेक लौकिक और पारलौकिक फलोंका वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें व्याकरण, छन्द, स्वर, ज्योतिष, आयुर्वेद, रत्नसार, नीतिसार आदि विविध उपयोगी विषयोंका यथास्थान समावेश किया गया है । इसके उत्तरखण्डमें धर्मकाण्ड-प्रेतकल्पका विवेचन विशेष महत्त्वपूर्ण है । इसमें मरणासन्न व्यक्तिके कल्याणके लिये विविध दानोंका निरूपण किया गया है ।

मृत्युके बाद और्ध्वदैहिक संस्कार, पिण्डदान, श्राद्ध, सपिण्डीकरण, कर्मविपाक तथा पापोंके प्रायश्चित्तके विधान आदिका विस्तृत वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें पुरुषार्थचतुष्टय- धर्म, अर्थ, काम और मोक्षके साधनोंके साथ आत्मज्ञानका सुन्दर प्रतिपादन है।
इस पुराणके स्वाध्यायसे मनुष्यको शास्त्र मर्यादाके अनुसार जीवनयापनकी शिक्षा मिलती है । इसके अतिरिक्त पुत्र-पौत्रादि पारिवारिक जनोंकी पारमार्थिक आवश्यकता और उनके कर्तव्यबोधका भी इसमें विस्तृत ज्ञान कराया गया है।

विभिन्न दृष्टियोंसे यह पुराण जिज्ञासुओंके लिये अत्यधिक उपादेय, ज्ञानवर्धक तथा वास्तविक अभ्युदय और आत्मकल्याणका निदर्शक है। जन-सामान्यमें एक भ्रान्त धारणा है कि गरुडमहापुराण मृत्युके उपरान्त केवल मृतजीवके कल्याणके लिये सुना जाता है, जो सर्वथा गलत है। यह पुराण अन्य पुराणोंकी भाँति नित्य पठन-पाठन और मननका विषय है । इसका स्वाध्याय अनन्त पुण्यकी प्राप्तिके साथ भक्ति ज्ञानकी वृद्धिमें अनुपम सहायक है।


‘कल्याण’-वर्ष ७४ सन् २००० में विशेषाङ्कके रूपमें प्रकाशित इस पुराणके विषय-वस्तुकी उपयोगिताको ध्यान में रखते हुए इसे पुराणरूपमें अपने पाठकोंके समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है। आशा है, ‘गीताप्रेस ‘ से प्रकाशित अन्य पुराणोंकी भाँति यह ‘गरुडमहापुराण’ भी श्रद्धालु पाठकोंके लौकिक और पारलौकिक अभ्युदयमें सहायक बनेगा।

कब और क्यों पढ़नी और सुननी चाहिए गरुड़ पुराण

गरुण पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। यह पुराण भगवान विष्णु की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित है। प्रत्येक व्यक्ति को यह पुराण पढ़ना चाहिए। गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक है।

गरुड़ पुराण- मौत के बाद आत्मा का क्या होता है

गरुड़ पुराण में मरने के बाद की दुनिया कैसी बताई गई है। 13 दिनों तक घर में रहती है आत्मा: गरुड़ पुराण अनुसार जब मृत्यु का समय नजदीक आ जाता है तो यमलोक से दो यमदूत आत्मा को लेने आते हैं। यमदूतों के आते ही आत्मा शरीर से निकल जाती है। यमदूत आत्मा को यमलोक ले जाते हैं जहां उसे 24 घंटे तक रखा जाता है।

दूसरा जन्म कैसे मिलता है- गरुड़ पुराण

गरुड़ पुराण के अनुसार हर व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका फिर से जन्म होता है. ये जन्म मरण का सिलसिला तब तक चलता रहता है, जब तक कि व्यक्ति को मोक्ष न मिल जाए. गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जिस तरह व्यक्ति अपने वस्त्र को बदलकर नए वस्त्र धारण करता है, उसी तरह आत्मा भी एक शरीर बदलकर नया शरीर धारण करती है.

What does Garuda Purana says?

Among the eighteen Mahapuranas, ‘Garuda Mahapuran’ has a special significance of its own. Its presiding deity is Lord Vishnu, hence it is Vaishnava Purana. In its greatness it is said – ‘Yatha suranam pravaro janardano yathyudhanam pravarah sudarsanam. And puraneshu ch garuda ch main tadahurharitattvadarsane ‘ Just as Janardana is superior among the gods and Sudarshan Chakra is the best among weapons, similarly in the Puranas this Garuda Purana is said to be the main one in the philosophy of Harika. The person in whose hands this Garuda Mahapuran is present has a dictionary of policies in his hand. One who recites this Purana or listens to it, attains both enjoyment and salvation.

What is the Story of Garuda Puran Pdf in Hindi

Once the bird king Garuda asked many mystical questions related to the condition of living beings after the death of Vishnu, the journey of beings to heaven and hell, the vaginas that the souls get from various bad deeds and the bad condition of those who commit sins. At that time the answer given by Vishnu to Garuda in the form of a sermon is the same in this Purana.

Is it OK to read Garuda Purana in Hindi?

The person in whose hands this Garuda Mahapuran is present has a dictionary of policies in his hand. One who recites this Purana or listens to it attains both enjoyment and salvation. In the Garuda Purana, many mysterious things have been told about our life. About which a person must know. Out of the nineteen thousand verses of the Garuda Purana, the description of knowledge, religion, policy, mystery, practical life, self, heaven, hell, and other worlds is found in the Garuda Purana in the remaining seven thousand verses.

What is the Importance of garuda puran?

the importance of the origin of Garuda Purana. The Garuda Purana is often recited at funeral ceremonies. The reason is that it has all the mantras that are to be chanted on such occasions. And if the rites are performed according to these incantations, the ancestors are freed from all their past sins.

पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-

पुस्तक का नाम (Name of Book)गरुड पुराण / Garud Puran PDF
पुस्तक का लेखक (Name of Author)Gita Press / गीता प्रेस
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)28 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)528
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)वेद-पुराण / Ved-Puran

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

विद्याकीर्तिप्रभालक्ष्मी जयारोग्यादिकारकम् । यः पठेच्छृणुयादुद्र सर्ववित् स दिवं व्रजेत् ॥ [

भगवान् हरिने कहा-] हे रुद्र यह गरुडमहापुराण विद्या, यश, सौन्दर्य, लक्ष्मी, विजय और आरोग्यादिका कारक
है जो मनुष्य इसका पाठ करता है या सुनता है, वह सब कुछ जान जाता है और अन्तमें उसे स्वर्गकी प्राप्ति होती
है।

यः पठेच्छृणुयाद्वापि श्रावयेद्रा समाहितः ॥
• संलिखेल्लेखयेद्वापि धारयेत् पुस्तकं ननु । धर्मार्थी प्राप्नुयाद्धर्ममर्थार्थी चार्थमाप्नुयात् ॥

जो मनुष्य एकाग्रचित्त होकर इस महापुराणका पाठ करता है, सुनता है अथवा सुनाता है, जो इसको लिखता है, लिखाता है या पुस्तकके ही रूपमें इसे अपने पास रखता है, वह यदि धर्मार्थी है तो उसे धर्मकी प्राप्ति होती है, यदि यह अर्थका अभिलाषी है तो अर्थ प्राप्त करता है।

गारुडं यस्य हस्ते तु तस्य हस्तगतो नयः । यः पठेच्छृणुयादेतद्भुक्ति मुक्ति समाप्नुयात् ॥

जिस मनुष्यके हाथमें यह गरुडमहापुराण विद्यमान है, उसके हाथमें ही नीतियोंका कोश है। जो प्राणी इस पुराणका पाठ करता है या इसको सुनता है, वह भोग और मोक्ष दोनोंको प्राप्त कर लेता है।


धर्मार्थकाममोक्षांच प्राप्नुयाच्छ्रवणादिनः । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् कामार्थी काममाप्नुयात् ॥

इस महापुराणको पढ़ने एवं सुननेसे मनुष्यके धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थोंकी सिद्धि हो जाती है। इस महापुराणका पाठ करके या इसको सुन करके पुत्र चाहनेवाला पुत्र प्राप्त करता है तथा कामनाका इच्छुक अपनी कामना प्राप्ति सफलता प्राप्त कर लेता है।


विद्यार्थी लभते विद्यां जयार्थी लभते जयम्। ब्रह्महत्यादिना पापी पापशुद्धिमवाप्नुयात् ॥

विद्यार्थीको विद्या, विजिगीपुको विजय, ब्रह्महत्यादिसे युक्त पापी पापसे विशुद्धिको प्राप्त होता है।

वन्ध्यापि लभते पुत्रं कन्या विन्दति सत्पतिम् । क्षेमार्थी लभते क्षेमं भोगार्थी भोगमाप्नुयात्॥
वन्ध्या स्त्री पुत्र कन्या सज्जन पति, क्षेमाथ क्षेम तथा भोग चाहनेवाला भोग प्राप्त करता है।

मङ्गलार्थी मङ्गलानि गुणार्थी गुणमाप्नुयात्। काव्यार्थी च कवित्वं च सारार्थी सारमाप्नुयात् ॥

मङ्गलकी कामनावाला व्यक्ति अपना मङ्गल, गुणोंका इच्छुक व्यक्ति गुण काव्य करनेका अभिलाषी मनुष्य कवित्वशक्ति
और जीवनका सारतत्व चाहनेवाला व्यक्ति सारतत्त्व प्राप्त करता है।

ज्ञानार्थी लभते ज्ञानं सर्वसंसारमर्दनम् । इदं स्वस्त्ययनं धन्यं गारुडं गरुडेरितम् ॥

ज्ञानार्थी सम्पूर्ण संसारका मर्दन करनेवाला ज्ञान प्राप्त करता है। [हे रुद्र!] पक्षिश्रेष्ठ गरुडके द्वारा कहा गया यह
गारुडमहापुराण धन्य है यह तो सबका कल्याण करनेवाला है।

नाकाले मरणं तस्य श्लोकमेकं तु यः पठेत् । श्लोकार्थपठनादस्य दुष्टशत्रुक्षयो ध्रुवम् ॥
जो मनुष्य इस महापुराणके एक भी श्लोकका पाठ करता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इसके मात्र आधे
श्लोकका पाठ करनेसे निश्चित ही दुष्ट शत्रुका क्षय हो जाता है।


अतो हि गारुडं मुख्यं पुराणं शास्त्रसम्मतम् गारुडेन समं नास्ति विष्णुधर्मप्रदर्शने ॥

इसलिये यह गरुडपुराण मुख्य और शास्त्रसम्मत पुराण है। विष्णुधर्मके प्रदर्शनमें गरुडपुराणके समान दूसरा कोई भी


यथा सुराणां प्रवरो जनार्दनो यथायुधानां प्रवरः सुदर्शनम्। तथा पुराणेषु च गारुडं च मुख्यं तदाहुर्हरितत्त्वदर्शने ॥

जैसे देवोंमें जनार्दन श्रेष्ठ हैं और आयुधों में सुदर्शन श्रेष्ठ है, वैसे ही पुराणोंमें यह गरुडपुराण हरिके तत्त्वनिरूपणमें मुख्य कहा गया है।


गारुडाख्यपुराणे तु प्रतिपाद्यो हरिः स्मृतः । अतो हरिर्नमस्कार्यो गम्यो योग्यो हरिः स्मृतः ॥

इस गरुडपुराणमें हरि ही प्रतिपाद्य हैं, इसलिये हरि ही नमस्कार करने योग्य हैं, हरि ही शरण्य हैं और वे हरि हो सब प्रकारसे सेवा करने योग्य हैं।


पुराणं गारुडं पुण्यं पवित्रं पापनाशनम् । शृण्वतां कामनापूरं श्रोतव्यं सर्वदैव हि ॥

यश्वेदं शृणुयान्मर्त्यो यश्चापि परिकीर्तयेत् । विहाय यातनां घोरां धूतपायो दिवं सृजेत् ॥

यह गरुडमहापुराण बड़ा ही पवित्र और पुण्यदायक है। यह सभी पापोंका विनाशक एवं सुननेवालोंकी समस्त कामनाओंका पूरक है। इसका सदैव श्रवण करना चाहिये जो मनुष्य इस महापुराणको सुनता या इसका पाठ करता है, वह निष्पाप होकर यमराजकी भयंकर यातनाओंको तोड़कर स्वर्गको प्राप्त करता है।

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General FAQ About Garuda Puran in Hindi

गरुड़ पुराण में इसे तीन भागों में बांटा गया है

यह पुराण मुख्यरूपसे पूर्वखण्ड ( आचारकाण्ड), उत्तरखण्ड ( धर्मकाण्ड-प्रेतकल्प) और ब्रह्मकाण्ड – तीन खण्डोंमें विभक्त है।

गरुण पुराण में क्या लिखा है?

गरुण पुराण की शुरुआत में सृष्टि के बनने की कहानी है। इसके बाद सूर्य की पूजा की विधि, दीक्षा विधि, श्राद्ध पूजा, नवव्यूह की पूजा विधि के बारे में बताया गया है। साथ ही साथ भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार और निष्काम कर्म की महिमा भी बताई गयी है। श्राद्ध में गरुण पुराण के पाठ से आत्मा को मुक्ति और मोक्ष मिलता है।

मृत्यु के बाद क्या होता है गरुड़ पुराण?

गरुड़ पुराण (Garuda Purana) का पाठ सुनने से ही मृतक आत्मा को शांति प्राप्त होती है और उसे मुक्ति का मार्ग पता चल जाता है. वह अपने सारे संताप को भूलकर प्रभु मार्ग पर चलकर सद्गति प्राप्त कर या तो पितरलोक में चला जाता है या पुन: मनुष्य योनी में जन्म ले लेता है. उसे प्रेत बनकर भटकना नहीं पड़ता है.

गरुण पुराण में गरीबी दूर करने का मंत्र

ॐ जूं स: गरुड़ पुराण में श्रीविष्णु सहस्त्रनाम की महिमा का वर्णन है. कहा जाता है कि यदि छह माह तक कोई व्यक्ति इस पाठ को करे तो उसके जीवन की हर बाधा दूर हो सकती है और उसकी कोई भी मनोकामना पूरी हो सकती है

गरुड़ पुराण की कथा सुनाइए पाप पुण्य करने से क्या फल मिलता है?

गरुड़ पुराण के अनुसार, हमारे कर्मों का फल हमें हमारे जीवन में तो मिलता ही है, परंतु मरने के बाद भी कर्मों का अच्छा-बुरा फल मिलता है. क्योंकि गरुड़ पुराण में स्वर्ग और नरक का वर्णन मिलता है

गरुण पुराण कब पढ़ना चाहिए?

मृत्‍यु के पश्‍चात 12 से 13 दिनों तक घर गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। इससे मृतक की आत्‍मा को शांति प्राप्‍त होती है।

गरुड़ पुराण के अनुसार 10 लोगों के घर पर कोई भोजन नहीं करना चाहिए

गरुड़ पुराण के आचार कांड में बताया गया है कि किसी इंसान को किन 10 लोगों के घर भूल से भी भोजन नहीं करना चाहिए अगर कोई व्यक्ति इन दस लोगों के द्वारा दी गई कोई चीज खाता है तो वह पाप का भागीदार बनता है. इसका कारण ये भी है कि हमारे बड़े-बुजुर्ग भी यही कहते हैं कि जैसा खाओगे अन्न वैसे होगा मन.

गरुड़ पुराण क्यों पढ़ा जाता है?

गरुड़ पुराण का पाठ न केवल पितरों को सुनाया जाता है बल्कि परिजनों को भी सुनाया जाता है क्योंकि उस समय परिवार का माहौल शोकाकुल होता है और इसके पाठ से उनको कष्ट सहने की शक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण का पाठ व्यक्ति को हमेशा प्रेरणा देता है कि चाहें कुछ भी हो जाए जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए।

गरुड पुराण में कितने भाग होते हैं?

यह पुराण मुख्यरूपसे पूर्वखण्ड ( आचारकाण्ड), उत्तरखण्ड ( धर्मकाण्ड-प्रेतकल्प) और ब्रह्मकाण्ड – तीन खण्डोंमें विभक्त है।

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