पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | गणपति साधना / Ganpati Sadhana PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | अनाम / Anonymous |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 3 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 27 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
कलियुग में गणपति शीघ्र सफलतादायक देवता माने गए हैं। गणपति से संबन्धित कई साधनाएं और सिद्धियां हैं, मैं नीचे कुछ साधनाएं स्पष्ट कर रहा हूँ, जो प्रत्येक गृहस्थ अपना सकता है।इसके लिए किसी प्रकार की विशेष पूजा या अर्चना की जरूरत नहीं है, और न ही विशेष नियम आदि को ध्यान में रखने की आवश्यकता है, इस प्रकार की साधनाएं पुरुष और स्त्री समान रूप से कर सकते हैं।१. कामना सिद्धि गणपति साधनासाधक को चाहिए कि सर्वप्रथम गणपति की मूर्तिया तस्वीर पर निम्नलिखित गणपति नामों का स्मरण कर उन पर दूर्वादल समर्पित करे, इससे समस्त प्रकार की कामना सिद्धि होती है।
१. सुमुखाय नमः २. एकदंताय नमः ३. कपिलाय नमः४. गजकर्णकाय नमः ५. लम्बोदराय नमः ६. विकटाय नमः ७. विघ्ननाशाय नमः ८. विनायकाय नमः ६. धूम्रकेतवे नमः१०. गणाध्यक्षाय नमः ११. भालचन्द्राय नमः १२. गजाननाय नमः ।
इन नामों से गणपति विग्रह पर दूर्वा चढ़ाने से गणपति शीघ्र प्रसन्न होते हैं तथा साधक की समस्त इच्छाओं को पूरी करते हैं।२. गणपति साधनासाधना की दृष्टि से अलग-अलग रूपों में गणपति का स्मरण और चिन्तन विभिन्न फलों की प्राप्ति में सहायक है, तंत्र सार में गणेश के भिन्न-भिन्न ध्यानों का फल इस प्रकार है।
पीतं स्मरेत् स्तम्भकार्ये एवं वश्याय मंत्री ह्यरुणं स्मरेत् तम् । कृष्णं स्मरेन्मारण कर्मणीशमुच्चाटने धूमनिभं स्मरेत् तम् । । बन्धूकपुष्पादिनिभं च कृष्टी स्मरेद् बलार्थं किल पुष्टिकार्ये स्मरेद् धनार्थी हरिवर्णमेतं मुक्ती च शुक्लं मनुवित् स्मरेत् तम् । एवं प्रकारेण गणं त्रिकालं ध्यायञ्जपन् सिद्धियुतो भवेत् सः । ।
अर्थात् साधकों को चाहिए कि वे स्तंभन कार्य मेंगणेश जी के पीत कांति वाले स्वरूप का ध्यान करें.
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