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पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | दुर्गातन्त्रम / Durga Tantram PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Pandit Shivdatt Mishra |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 77 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 132 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | तंत्र विद्या/Tantra Vidya |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
Durga Tantram in Hindi PDF Summary
दुर्गा तंत्रम एक प्राचीन हिंदू पाठ है जो देवी दुर्गा से जुड़ी पूजा और अनुष्ठानों की रूपरेखा देता है। यह शाक्त परंपरा में सबसे महत्वपूर्ण तांत्रिक ग्रंथों में से एक है और इसे आध्यात्मिक जागृति और व्यक्तिगत परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण माना जाता है।
पाठ को 18 अध्यायों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक दुर्गा पूजा के एक अलग पहलू पर केंद्रित है। पहले कुछ अध्यायों में दुर्गा की उत्पत्ति और पौराणिक कथाओं पर चर्चा की गई है, जबकि बाद के अध्यायों में देवी की पूजा कैसे करें, इस पर विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। पाठ में कई मंत्र, मुद्राएं (हाथ के इशारे), और यंत्र (ज्यामितीय चित्र) भी शामिल हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि उनमें दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने की शक्ति है।
दुर्गा तंत्रम एक जटिल और गूढ़ पाठ है जिसे शाब्दिक रूप से समझने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय यह दिव्य स्त्री शक्ति का एक प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है जिसे आध्यात्मिक अभ्यास के माध्यम से पहुँचा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि यह पाठ अभ्यासकर्ता को आध्यात्मिक ज्ञान, भौतिक समृद्धि और नुकसान से सुरक्षा सहित व्यापक लाभ प्रदान करने में सक्षम है।
यहां दुर्गा तंत्रम की कुछ प्रमुख शिक्षाएं दी गई हैं:
- देवी दुर्गा ब्रह्मांड की सर्वोच्च देवी और दिव्य स्त्री शक्ति का अवतार हैं।
*दुर्गा ब्रह्मांड की रक्षक और बुराई का नाश करने वाली हैं। - दुर्गा की पूजा के माध्यम से, साधक संसार (पुनर्जन्म) के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
- दुर्गा पूजा से साधक को आध्यात्मिक ज्ञान, भौतिक समृद्धि और नुकसान से सुरक्षा सहित कई प्रकार के लाभ मिल सकते हैं।
दुर्गा तंत्रम एक शक्तिशाली और परिवर्तनकारी पाठ है जो आध्यात्मिक साधकों के लिए एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है। हालाँकि, पाठ को सम्मान और श्रद्धा के साथ देखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक पवित्र ग्रंथ है जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
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दुर्गा-तन्त्रम् – प्रस्तुत ‘दुर्गातन्त्रम्’ के विषय में सिंहावलोकन रूप से मैं दो शब्द पाठकों की सेवा में निवेदित कर रहा हूँ। धर्मप्राण जनता अवश्य इस ग्रन्थ को पढ़े। इसमें जगज्जननी पराम्बा त्रिगुणात्मिका, आद्याशक्ति, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती-स्वरूपा, जगदम्बा जगदात्मिकश श्री माँ दुर्गा के पूजन-स्तवन-पाठ, यन्त्रपूजन, मन्त्रोद्धार तथा दुर्गापूजाविधि, विविध देवी-दुर्गा स्तुतियाँ हैं।
प्रस्तुत्त दुर्गातन्त्र में एक सन्दर्भ अपूर्व है। मैंने वह नहीं देखा था वह है- ‘टकारा दि-दुर्गासहस्रनाम स्तोत्रम्’ । इन दकारादि-सहस्रनामों को ॐकार पूर्वक चतुथ्येंकवचन विभक्ति विपरिणमित ‘नमः’ कारान्त रूप में करके बाचायं शिवदत्त मिश्र जी ने ‘वकारादिदुर्गासहस्रनामावली’ को भी इस ग्रन्थ में तद्विधसहस्रनाम पाठकर्ताओं की सुविधा के लिए प्रस्तुत कर दिया है । सप्तशती के प्रत्येक अध्याय के क्रमानुसार बीज मन्त्रों का संकलन भी इस
ग्रन्थ की विशिष्टता है।
एक साधुने मुझे बताया है कि ‘दुर्गासहस्रनामावली’ एक प्रमुख तान्धिक नामावली है। अड़हुल (लाल देशीपुष्प) को साकल्य में मिला कर, घृताहुति और उक्त साकल्याहुति का नब दिनों तक हवन करने से सर्वाभीष्ट-सिद्धि होती है। सर्वरोग निवृत्ति होती हे और शत्रु एवं विरोधियों का नाश हो जाता है। धर्मार्थ-काम-मोक्षरूप पदार्थ चतुष्टय सिद्ध होते हैं।
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