पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | दिल्ली का लाल किला लाल कोट है / Delhi Ka Lal Kila Lal Kot Hai |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | P.N.Oak |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 14 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 123 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | इतिहास / History |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
भारत में धौर उसके बाहर देशों में ऐसे ‘शिक्षित’ लोग हैं जिनके दिमाग़ों को, निरन्तर ग्रांग्ल-मुस्लिम शिक्षण के द्वारा, इस प्रकार खोलना कर दिया गया है कि वे विश्वास करने लगे हैं कि भारत के सभी अथवा लगभग सभी ऐतिहासिक नगर यथा दिल्ली, प्रागरा, जौनपुर, कन्नौज, लखनऊ, बीदर और बीजापुर प्रादि विदेशी मुस्लिम प्राक्रमण कारियों द्वारा बनाए बसाए गए थे।
उन लोगों की दृष्टि में, मफ़गा निस्तान से अबीसीनिया तक के मुस्लिम नराधमों द्वारा हजार वर्षीय लूट-खसोट और हत्याकारी प्राक्रमणों से पूर्व भारत में कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं था। तथापि, वास्तविकता यह है कि विदेशी मुस्लिम प्राक्रमणकारियों ने भारतीय नगरों और भवनों को नष्ट-भ्रष्ट ही किया— निर्माण एक का भी नहीं किया।
प्रतः न केवल बनारस, मथुरा धौर उज्जैन, अपितु भारत के सभी बड़े-बड़े नगरों का, पूर्व नामांकित नगरों के समान ही एक प्रति प्राचीन हिन्दू इतिहास है ।
दिल्ली ऐसे नगरों में से एक है। मीलों तक की भूमि में यहाँ-वहाँ बिखरे हुए ध्वंसावशेष उन प्राचीन हिन्दू भवनों, मन्दिरों धौर राजमहलों के हैं जिनको मुस्लिम हमलों के एक हजार वर्षों में विनष्ट हो जाना पड़ा ।
प्रतः, भारतीय ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण अथवा अध्ययन करने वालों को एक सूत्र, एक सिद्धान्त स्मरण रखना चाहिए, धर्षात् वे भाज जो भी निर्मित प्रंश देखते हैं वह हिन्दू-मूलक हैं, तथा वे जो भी क्षति,
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