ब्रह्मचर्य विज्ञान ( Brahmacharya Vigyan PDF ) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | ब्रह्मचर्य विज्ञान / Brahmacharya Vigyan |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Anonymous |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 9 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 380 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Adhyatm |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
ब्रह्मचर्य से लाभ और उसके न होने से हानि, प्रत्येक मनुष्य अल्पाधिक अनुभव की बात है । इस विषय में पूर्ण अनुभव साधारणतः किसी को नहीं होता, क्योंकि जहाँ ब्रह्मचर्य की पूर्ण हानि होती है, वहाँ जीवन ही संभव नहीं है और जहाँ ब्रह्म- चर्च का अखंड पालन होता हो, ऐसे ऊर्ध्वरेता महापुरुष के दर्शन दुर्लभ हैं । परंतु जो थोड़ा सा अनुभव प्रत्येक मनुष्य को इस विषय में होता है, उससे वह इस सत्य को जान सकता है कि “मरणं बिन्दु-पातेन, जीवनं बिन्दु- धारणात् ” — वीर्य से ही जीवन है और उसके अभाव से मृत्यु । (यह बात वैयक्तिक जीवन में जितनी सत्य है, उतनी ही समाज के जीवन में भी, क्योंकि व्यक्तियों के समूह का ही नाम समाज है | )
केवल भौतिक मृत्यु ही नहीं, सब प्रकार की मृत्यु “बिन्दु पात” से ही होती है— बिन्दुपात से बुद्धिभ्रंश होता है, धैर्य नष्ट हो जाता है, सब प्रकार के उद्योग करने की शक्ति जाती रहती है । ” बिन्दु – पात” ही सब प्रकार की अवनति का मूल है और इसीसे यह समझ लेना चाहिये – “बिन्दु-धारण” ही सब प्रकार की उन्नति का साधन है ।
‘ब्रह्मचर्य’ बहुत ही गहन विषय है । इसके श्राध्यात्मिक तत्त्वों का विवेचन करना, सरल काम नहीं । इसके निगूढ़ रहस्यों को भली भाँति प्रकाशित करने में इसके आचार्य ही कुछ समर्थ हो सकते हैं । इसकी उत्तमता तथा वैज्ञानिकता के सम्बन्ध में इतना ही कह देना पर्याप्त है कि इस पर वारंवार जो कुछ लिखा जाय, या जो कुछ कहा जाय, सो संव थोड़ा है।
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