Bhupen Hazarika (Hindi) biography PDF (भूपेन हाजरिका – जीवनी) Book PDF Details:
पुस्तक का नाम (Name of Book) | Bhupen Hazarika (Hindi) biography PDF | भूपेन हाजरिका – जीवनी |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | अनाम / Anonymous |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 2 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 10 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | जीवनी और आत्मकथाएँ / Biography and Autobiography |
Bhupen Hazarika (Hindi) biography PDF Book Summary
भूपेन हजारिका
एक कली दो पत्तियाँ….
एक कली दो पत्तियाँ नाजुक-नाजक अंगुलियाँ…
ये पंक्तियाँ पढ़ते ही अचानक भूपेन हजारिका का गुरु गंभीर स्वर कानों में गूंज उठता है। अपनी स्वरलहरियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने की क्षमता रखनेवाले भूपेन हजारिका का नाम किसी परिचय की आकांक्षा नहीं रखता। भूपेन हजारिका ऐसे लोकनायक थे, जिनके गीत पूर्वोत्तर भारत की जनता की धमनियों में रक्त के साथ घुले हुए हैं।
भूपेन हजारिका विभिन्न भावों में अपने लोकसंगीत व गीतों के माध्यम से असम की आत्मा को जन-जन तक पहुँचाने वाले ‘ब्रह्मपुत्र के कवि’ भूपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से थे। यदि हम भूपेन दा के बहुआयामी व्यक्तित्व के विषय में बताना चाहें तो कहना होगा कि वे एक गायक, कवि, संगीतकार, पत्रकार, साहित्यकार, फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक व चित्रकार थे। किसी एक व्यक्ति में इतने गुणों व प्रतिभा का समावेश सुनने में भले ही विचित्र लगे, किंतु भूपेन हजारिका ऐसा ही एक नाम थे,
जिन्होंने साहित्य, संगीत, लेखन, काव्य, निर्देशन व पत्रकारिता आदि विविध क्षेत्रों में
अपनी प्रतिभा का अपूर्व परिचय दिया। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से असमी सभ्यता, संस्कृति, लोकपरंपरा, जीवन के प्रत्येक पक्ष व समसामयिक जीवन को भी गीतों में गूँथकर हमारे समक्ष प्रस्तुत किया। वे स्वयं को एक ‘यायावर’ कहलाना पसंद करते थे। एक ऐसा यायावर, जिसके लिए सारी पृथ्वी ही अपना घर हो जाती है और मानवता का दुःख उसका अपना दुःख।
डॉ. भूपेन हजारिका का जन्म 8 अगस्त, 1926 को असम राज्य के तिनसुकिया जिले के सदिया नामक स्थान पर हुआ। उनके पिता नीलकांत हजारिका ने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी। नीलकांत अपने सहपाठी अनाथबंधु दास के घर में रहते थे। अनाथबंधु अच्छे गायक और संगीतकार थे। वह सितार बजाते थे। टायफाइड की वजह से केवल 23 वर्ष की उम्र में अनाथ बंधु की मृत्यु हो गई। नीलकांत का विवाह अपने मित्र की बहन शांतिप्रिया से हुआ और विवाह के दो वर्ष पश्चात् भूपेन का जन्म हुआ।
नीलकांत उन दिनों सदिया में ही शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। जीवनीकार लिखते हैं कि महान् संगीतकार के जन्म के समय चिकित्सक के सम्मुख दुविधा खड़ी हो गई थी कि वह प्रसवपीड़ा से क्लांत माँ की प्राणरक्षा करे या बड़े सिर वाले नवजात के प्राण बचाए, किंतु ईश्वर की ऐसी कृपा रही कि माँ व शिशु दोनों को ही बचा लिया गया। उन दिनों सदिया एक दुर्गम क्षेत्र था, जहाँ अनेक आदिवासी जनजातियाँ रहती थीं। शिक्षक नीलकांत के साथ उनके आत्मीय संबंध थे, अतः उनके घर जनमा नन्हा सा शिशु सभी के लिए स्नेह का पात्र था।
जनजातीय लड़कियाँ प्रायः उनके यहाँ घरेलू कामकाज के लिए आतीं और नन्हा भूपेन उनके साथ खेलता। एक बार वे नन्हे बालक को अपने साथ अपनी बस्ती में ले गई और साँझ तक नहीं लौटीं। साँझ भी बीत गई। रात का अंधकार घना होता चला गया, पर वे भूपेन के साथ नहीं लौटीं। माँ व्याकुल थीं, क्योंकि अभी बालक स्तनपान करता था। उसके भूख से बिलखने की कल्पना ही उन्हें सता रही थी, किंतु अगली सुबह उन लड़कियों के साथ हँसता-खिलखिलाता भूपेन लौटा तो पता चला कि कल उसे बस्ती की महिलाओं ने अपना स्तनपान कराया था। इस प्रकार सदिया के उस निश्चल व आत्मीयता से पूर्ण परिवेश में भूपेन का बचपन बीता।
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