भृगु संहिता इन हिंदी PDF | Bhrigu Samhita Hindi PDF Free

पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-

पुस्तक का नाम (Name of Book)भृगु संहिता | Bhrigu Samhita PDF
पुस्तक का लेखक (Name of Author)महर्षि भृगु | Maharishi Bhrigu
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)111 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)638
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)ज्योतिष / Astrology

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

भृगु संहिता एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें ज्योतिष संबंधी समस्त जानकारियां दी गई हैं। भृगु संहिता की रचना ऋषि भृगु ने 5,000 साल से भी पहले की थी। लेकिन यह पांडुलिपि केवल लगभग 500 वर्ष पुरानी है और हस्तलेखन के विश्लेषण से पता चला है कि इसे एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा लिखा गया था।

वर्तमान में भृगु संहिता का एक हिस्सा आधुनिक पंजाब के होशियारपुर/सुल्तानपुर जिले और आधुनिक उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में उपलब्ध है। भृगु संहिता एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें ज्योतिष संबंधी समस्त जानकारियां दी गई हैं। इसकी रचना ऋषि भृगु ने की थी। इसमें कुंडली के लग्न के अनुसार बताया गया है कि व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा।

जन्मकुण्डलीस्थ ग्रहों का फलादेश जानने से पूर्व ज्योतिष विषयक प्रारम्भिक जानकारी, यथा— तिथि, वार, नक्षत, राशि, ग्रहों का पारस्परिक सम्बन्ध आदि का ज्ञान होना अत्यावश्यक है । अस्तु, इस प्रथम खण्ड में उन्ही सब प्रारम्भिक परन्तु अत्यावश्यक ज्ञातव्य विषयों का उल्लेख किया जा रहा है, जिन्हें जाने बिना ज्योतिष विद्या के क्षेत्र में प्रवेश ही नहीं मिल सकता ।


तिथि अथवा मितो
भारतीय ज्योतिष में चन्द्रमा को एक ‘कला’ को ‘तिथि’ कहते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में तिथि को ही ‘मिती’ के नाम से पुकारा जाता है । विक्रम सम्वत्सर का प्रारम्भ चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से होता है तथा अन्त चंद्र कृष्णपक्ष की अमावस्या को होता है। जिस रात्रि में चन्द्रमा बिल्कुल दिखाई अहीं देता, वह तिथि कृष्णपक्ष को ‘अमावस्या’ कही जाती है। कृष्णपक्ष की अमावस्या के दूसरे दिन से शुक्लपक्ष को प्रतिपदा आरम्भ होती है।


जिन पन्द्रह दिनों में चन्द्रमा प्रतिदिन आकाश में घोड़ा-थोड़ा बढ़ना आरंभ होता है तथा पन्द्रहवें दिन अपने पूर्णरूप में दिखाई देता है, उसे ‘शुक्लपक्ष’ कहते हैं तथा बाद के जिन पन्द्रह दिनों में चन्द्रमा आकाश में प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा करके घटने लगता है तथा पन्द्रवें दिन बिल्कुल दिखाई नहीं देता, उसे ‘कृष्णपक्ष’ कहते हैं । इस प्रकार प्रत्येक महीने में पन्द्रह-पन्द्रह दिन के दो पक्ष हुआ करते हैं- (१) शुक्ल पक्ष और (२) कृष्णपक्ष । पक्ष को आम बोलचाल की भाषा में ‘पखवाड़ा’ कहा जाता है।


यद्यपि नवीन संवत्सर का आरम्भ चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से होता है, परन्तु प्रत्येक मास (महीने) का प्रारम्भ कृष्णपक्ष से ही माना जाता है अर्थात् प्रत्येक महीने का पहला आधा भाग कृष्णपक्ष का और दूसरा आधा भाग शुक्लपक्ष का होता है ।

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भृगु संहिता में क्या लिखा है?

भृगु संहिता एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें ज्योतिष संबंधी समस्त जानकारियां दी गई हैं।

भृगु संहिता कितने साल की है?

भृगु संहिता की रचना ऋषि भृगु ने 5,000 साल से भी पहले की थी। लेकिन यह पांडुलिपि केवल लगभग 500 वर्ष पुरानी है और हस्तलेखन के विश्लेषण से पता चला है कि इसे एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा लिखा गया था।

भृगु संहिता कहां मिल सकती है?

वर्तमान में भृगु संहिता का एक हिस्सा आधुनिक पंजाब के होशियारपुर/सुल्तानपुर जिले और आधुनिक उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में उपलब्ध है।

भृगु संहिता ज्योतिष क्या है?

भृगु संहिता एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें ज्योतिष संबंधी समस्त जानकारियां दी गई हैं। इसकी रचना ऋषि भृगु ने की थी। इसमें कुंडली के लग्न के अनुसार बताया गया है कि व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा।

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