पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें / Bhartiya Itihaas Ki Bhayanker Bhoolen |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | P.N.Oak |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 19 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 177 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | इतिहास / History |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
भारत पर विगत एक हजार वर्ष से अधिक समय तक विदेशियों के निरन्तर शासन ने भारतीय इतिहास-ग्रन्थों में प्रति पवित्र विचारों के रूप में अनेकानेक भयंकर धारणाओं को समाविष्ट कर दिया है। अनेक शताब्दियों तक सरकारी मान्यता तथा संरक्षण में पुष्ट होते रहने के कारण, समय व्यतीत होने के साथ-साथ, इन भ्रम-जनित धारणाओं को आधिकारिकता की मोहर लग चुकी है।
यदि इतिहास से हमारा अर्थ किसी देश के तथ्यात्मक एवं तिथिक्रमागत सही-सही भूतकालिक वर्णन से हो, तो हमें वर्तमान समय में प्रचलित भारतीय इतिहास को काल्पनिक ‘अरेबियन नाइट्स’ की श्रेणी में रखना होगा।
ऐसे इतिहास का तिरस्कार और पुनर्लेखन होना ही चाहिये। इस पुस्तक में मैंने भारतीय इतिहास-परिशोध की कुछ भयंकर भूलों की ओर इंगित किया है। जो भूलें यहाँ सूची में आ गयी हैं, केवल वे ही अन्तिम रूप में भूलें नहीं है।
भारतीय और विश्व इतिहास पर पुनः दृष्टि डालने एवं प्राचीन मान्यताओं का प्रभाव अपने ऊपर न होने देने वाले विद्वानों के लिए अन्वेषण का कितना विशाल क्षेत्र उनकी बाट जोह रहा है, केवल यह दिल लाने के लिए ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं।
मेरे, इससे पूर्व खोजपूर्ण प्रकाशन ‘ताजमहल राजपूती महल था’ ने भारतीय इतिहास के चकाचौध करने वाले और दूरगामी कुविचार का पहले ही भण्डा-फोड़ कर दिया है।
संक्रामक विष की भांति भारतीय इतिहास परिशोध की भयंकर भूलों ने अन्य क्षेत्रों में विष-प्रसार किया है। उदाहरण के लिए, वास्तुकला और सिविल इंजीनियरी के छात्रों को बताया जाता है कि वे विश्वास करें.
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