भारत विभाजन के गुनहगार | Bharat Vibhajan Ke Gunaghar PDF in Hindi

भारत विभाजन के गुनहगार ( Bharat Vibhajan Ke Gunaghar Hindi Book) के बारे में अधिक जानकारी

पुस्तक का नाम (Name of Book)भारत विभाजन के गुनहगार / Bharat Vibhajan Ke Gunaghar
पुस्तक का लेखक (Name of Author)Rammanohar Lohiya
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)6 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)102
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)History

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

मौलाना आजाद कृत ‘इंडिया विन्स फ्रीडम’ के परीक्षण की जो बात मेरे मन में उठी, उसे जब मैंने लिखना शुरू किया तो वह देश के विभाजन का एक नया वृतांत बन गया। यह वृतांत हो सकता है, बाह्य रूप में, संगतवार व कालक्रमवार न हो, जैसा कि दूसरे लोग इसे चाहते, लेकिन कदाचित यह अधिक सजीव व वस्तुनिष्ठ बन पड़ा है।

छपाई के दौरान इसके प्रूफ देखते समय इसमें स्पष्ट हुए दो लक्ष्यों के प्रति मैं सतर्क हुआ। एक, गलतियों और झूठे तथ्यों को जड़ से धोना और कुछ विशेष घटनाओं और सत्य के कुछ पहलुओं को उजागर करना और दूसरा, उन मूल कारणों को रेखांकित करना जिनके कारण विभाजन हुआ। इन कारणों में, मैंने आठ मुख्य कारण गिनाए हैं।

एक ब्रितानी कपट, दो, कांग्रेस नेतृत्व का उतारवय, तीन, हिन्दू-मुस्लिम दंगों की प्रत्यक्ष परिस्थिति, चार, जनता में दृढ़ता और सामर्थ्य का अभाव, पाँच, गाँधीजी की अहिंसा, छः, मुस्लिम लीग की फूटनीति, सात, आए हुए अवसरों से लाभ उठा सकने की असमर्थता और आठ, हिन्दू अहंकार ।

श्री राजगोपालाचारी अथवा कम्युनिस्टों की विभाजन समर्थक नीति और विभाजन के विरोध में कट्टर हिन्दूवादी या दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी नीति को विशेष महत्त्व देने की आवश्यकता नहीं। ये सभी मौलिक महत्त्व के नहीं थे। ये सभी गम्भीर शक्तियों के निरर्थक और महत्त्वहीन अभिव्यक्ति के प्रतीक थे। उदाहरणार्थ, विभाजन के लिए कट्टर हिन्दूवाद का विरोध असल में अर्थहीन था, क्योंकि देश .को विभाजित करने वाली प्रमुख शक्तियों में निश्चित रूप से कट्टर हिन्दूवाद भी एक शक्ति थी । यह उसी तरह थी जैसे हत्यारा, हत्या करने के बाद अपने गुनाह मानने से भागे ।

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