पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | भारत में पंचायती राज PDF | Bharat Mein Panchayati Raaj Book in Hindi PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | अनाम / Anonymous |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 9 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 238 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Educational Books |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
दस वर्ष पूर्व, 24 अप्रैल 1993 को, पचायतें भारतीय संविधान के भाग नौ का अंग बन गयी। 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद मैंने जो निबंध लिखे हैं, यह पुस्तक उन्हीं का एक चयन है। इसके माध्यम से मैंने पंचायतों की दस वर्षो की यात्रा को उकेरने की कोशिश की है।
जैसा कि जाहिर है, दस वर्षो की यह यात्रा न तो बाधारहित रही है और न ही हमेशा वांछित दिशा में निश्चय ही, हमारे जैसे, ढेर सारी जटिल समस्याओ से भरे, समाज में रेडिकल परिवर्तन लाना कोई आसान काम नही है। कठिनाई तब और बढ़ जाती है, जब परिवर्तन का लक्ष्य उन बहुसंख्यक लोगो को सत्ता देना हो जो परपरागत रूप से हाशिये का जीवन जीते रहे है और समाज से बहिष्कृत रहे हैं।
यही कारण है कि पंचायते एक ओर तो सत्ताधारियों की संपूर्ण उपेक्षा का शिकार और दूसरी ओर भूपतियों, सामती तत्वों और ऊँची जातियों की हिंसक और ध्वंसपूर्ण प्रतिक्रिया के निशाने पर रही हैं। दूसरी अजीव-सी बात यह हुई कि जिन हाथों ने यह गत्यात्मक सवैधानिक ढाँचा निर्मित किया, वे हाथ ही इसे नष्ट करने की कोशिश करते रहे है। ससद सदस्यो और विधान सभा सदस्यों में यह एहसास सताता रहता है कि उनकी ही बनायी हुई चीज सत्ता और स्वार्थ विस्तार की उनकी उच्छृंखल भूख के मार्ग में बाधक बन रही है। नौकरशाही भी इस रेडिकल कदम से बहुत खुश नहीं है कि तृणमूल स्तर पर गठित ‘स्वशासन की संस्थाओं’ के माध्यम से अधिकार आम जनता को दिये जा रहे हैं।
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