भक्ति सूत्र – ओशो (Bhakti Sutra Osho PDF ) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | भक्ति सूत्र / Bhakti Sutra |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Osho |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 3 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 440 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Adhyatm |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
सूत्र
अथातो भक्तिं व्याख्यास्यामः ।। १ ।।
सा त्वस्मिन् परमप्रेमरूपा ।। २ ।।
अमृतस्वरूपा च ।। ३ ।।
यल्लब्ध्वा पुमान सिद्धो भवति
अमृतो भवति तृप्तो भवति ।। ४ ।।
यत्प्राप्य न किग्चिक्षाग्छति न शोचति
न द्वेष्टि न रमते नोत्साही भवति ।। ५ ।।
यज्ज्ञात्वा मत्तो भवति स्तब्धो भवति
आत्मारामो भवति ।। ६ ।।
— जीवन है ऊर्जा ऊर्जा का सागर। समय के किनारे पर अथक, अंतहीन ऊर्जा की लहरें टकराती रहती हैं: न कोई प्रारंभ है, न कोई अंत; बस मध्य है, बीच है। मनुष्य भी उसमें एक छोटी तरंग है; एक छोटा बीज है अनंत संभावनाओं का।
तरंग की आकांक्षा स्वाभाविक है कि सागर हो जाए और बीज की आकांक्षा स्वाभाविक है कि
वृक्ष हो जाए। बीज जब तक फूलों में खिले न, तब तक तृप्ति संभव नहीं है।
मनुष्य कामना है परमात्मा होने की। उससे पहले पड़ाव बहुत हैं, मंजिल नहीं है। रात्रि- विश्राम हो सकता है। राह में बहुत जगहें मिल जाएंगी, लेकिन कहीं घर मत बना लेना। घर तो परमात्मा ही हो सकता है।
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