Join us on Telegram

How to download

Rajendra-Prasad-biography

राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा | Atmakatha Rajendra Prasad PDF in Hindi

Published On:

Category: जीवनी और सत्य कथाएँ / Biography and True Stories

5/5 - (1 vote)

पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-

पुस्तक का नाम (Name of Book)राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा | Biography of Rajendra Prasad PDF
पुस्तक का लेखक (Name of Author)राजेन्द्र प्रसाद / Rajendra Prasad
पुस्तक की भाषा (Language of Book)हिंदी | Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)200 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)712
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)जीवनी और सत्य कथाएँ / Biography and True Stories

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

श्री राजेन्द्र बाबू की आत्मकथा को प्राक्कथन की आवश्यकता क्या ? तिस पर मेरे जैसा आदमी — जिसने कभी विद्वत्ता का या साहित्यकार होने का दावा नहीं किया प्राक्कथन क्या लिखे ? सन् १९१८ के खेड़ा सत्याग्रह की लड़ाई के दिनों में हम पहली बार मिले थे। उसी समय से राजेन्द्र बाबू के प्रति मेरे दिल में जो आकर्षण उत्पन्न हुआ और हम दोनों के बीच प्रेम की जो गाँठ बँधी, वह मुझे इस काम को सिर- माथे चढ़ाने के लिए विवश कर रही है। श्री राजेन्द्र बाबू को देखते ही उनकी सरलता और नम्रता की जो छाप हमारे दिल पर पड़ती है, उसका प्रतिबिम्ब इस आत्मकथा के पन्ने पक्ष में पाया जाता है।
प्रायः पिछले पच्चीस वर्षों से हमारा देश किस स्थिति से किस स्थिति को पहुँच गया है, इसका सजीव और एक पवित्र देवा भक्त के हृदय के रंग में रंगा हुआ इतिहास पाठकों को इस आत्मकथा में मिलेगा ।
इस आत्मकथा में हमें राजेन्द्र बाबू के बाल्यकाल के बिहार के सामाजिक रीति-रिवाजों का संकुचित प्रथाओं से होनेवाली हानियों का, उस समय के ग्राम-जीवन का, धार्मिक व्रतों, उत्सवों और त्योहारों का, उस जमाने के बच्चों के जीवन का और उस समय की शिक्षा की स्थिति का हू-बहू चित्र देखने को मिलता है । उस चित्र में सादगी और खानदानियत के साथ विनोद और खेद उत्पन्न करनेवाली परि स्थितियों का मिश्रण हुआ है। साथ ही, आजकल हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच भेद-भाव की जो खाई बढ़ी हुई नजर आती है, उसके अभाव का और दोनों जातियों के बीच शुद्ध स्नेह का जो चित्र इस आत्मकथा में है, वह आँखों को ठण्डक पहुँचाने वाला होते हुए भी दुर्भाग्य से आज लुप्त होता जा रहा है।
सन् १९०५ में बंग-भंग के जमाने से ही राजेन्द्र बाबू पर देशभक्ति का रंग चढ़ने लगा था। उसी समय से वे अपने जीवन में इस ओर क्रम क्रम से बराबर आगे ही बढ़ते गये हैं । सन् १९१७ में चम्पारन की लड़ाई के समय उन्होंने गांधीजी के कदमों पर चलकर फकीरी अपनायी। उसके बाद की उनकी आत्मकथा हमारे देश के पिछले तीस वर्षों के सार्वजनिक जीवन का इतिहास बन जाती है। जो कोई इस पुस्तक को पढ़ेंगे, वे इससे जीवन को उन्नत बनानेवाली प्रेरणा प्राप्त करेंगे। कोई देश प्रेमी इसे बिना पढ़े न रहे।

]देशरत्न डा० राजेन्द्रप्रसादजी की ‘आत्मकथा’ के प्रकाशन की हमारी उत्कट अभिलाषा ने ही हमें ‘साहित्य-संसार’ की स्थापना करने को प्रेरित किया है।

नीचे दिए गए लिंक के द्वारा आप राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा | Biography of Rajendra Prasad PDF डाउनलोड कर सकते हैं ।

Download

Also check these...

RAHASYA ABHAMANDAL KA: Unveiling the Secrets of the Mysterious Universe Hindi PDF Free Download

RAHASYA ABHAMANDAL KA: Unveiling the Secrets of the Mysterious Universe Hindi PDF Free Download | रहस्य आभामंडल का (Hindi) PDF

Zerodha ki Success Story aur Nikhil Kamath India's Youngest Billionaire PDF Free Download

Zerodha ki Success Story aur Nikhil Kamath India’s Youngest Billionaire PDF Free Download | zerodha की सक्सेस स्टोरी और निखिल कामथ (Hindi) PDF Download

Ashwatthama ka Abhishap PDF Free Download  अश्वत्थामा का अभिशाप (Hindi) PDF Download

Ashwatthama ka Abhishap PDF Free Download | अश्वत्थामा का अभिशाप (Hindi) PDF Download

Kaal Kare So Aaj Kar: Do It Today Hindi PDF

Kaal Kare so Aaj Kar : Do it today in Hindi pdf Free Download | काल करे सो आज कर (Hindi) PDF Download

Leave a Comment