Ashwatthama ka Abhishap Book PDF (अश्वत्थामा का अभिशाप हिंदी में) Book PDF Details:
पुस्तक का नाम (Name of Book) | Ashwatthama ka Abhishap Book In Hindi | अश्वत्थामा का अभिशाप (Hindi) |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | M. I. Rajasve |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 70 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 314 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | ऐतिहासिक कथा / Historical fiction |
Ashwatthama ka Abhishap PDF Book Summary
Ashwatthama ka Abhishap Book PDF – पुस्तक का परिचय
“Ashwatthama ka Abhishap” एक ऐसी अद्भुत कथा है जो पौराणिक पात्रों की कहानियों को जीवंत करती है। यह कहानी उन पात्रों के संघर्ष, आशीर्वाद और शाप के इर्द-गिर्द घूमती है जिन्होंने सत्य, धर्म, और न्याय की स्थापना के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शापित अश्वत्थामा एक अमर योद्धा बन गए। कलियुग में, वह लंकापति विभीषण, असुरराज बलि, रामभक्त हनुमान, आचार्य कृप, महर्षि व्यास, और भगवान परशुराम जैसे अमर रक्षकों के नेता बन गए।
इस पुस्तक में, अश्वत्थामा का उद्देश्य पृथ्वी को विनाश से बचाना है। यह एक काल्पनिक कहानी है जो अश्वत्थामा के अमर जीवन और उससे जुड़ी रहस्यमय घटनाओं को उजागर करती है। “Ashwatthama ka Abhishap” एक रोमांचक और रहस्यपूर्ण यात्रा है जो पाठकों को बांधे रखती है।
महायोद्धा अश्वत्थामा का परिचय
अश्वत्थामा, महाभारत के महान योद्धा और आचार्य द्रोण के पुत्र थे। अपने पिता की कुटिल हत्या के प्रतिशोध में, उन्होंने द्रौपदी के पांचों पुत्रों की हत्या कर दी थी और पांडवों का संहार करने के लिए नारायणास्त्र का प्रयोग किया था। इस अपराध के लिए, भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा के मस्तक से मणि निकालकर उन्हें अनंतकाल तक पीड़ा सहने का शाप दिया।
अश्वत्थामा का अमरत्व भारतीय शास्त्रों में वर्णित है और उनके अस्तित्व पर विश्वास आज भी जनमानस में बना हुआ है। आधुनिक समय में भी उनके जीवित होने की कथाएँ सुनी जाती हैं। इंटरनेट पर उनसे संबंधित अनेक कहानियाँ और वीडियो वायरल हो चुके हैं, जिनमें कहा जाता है कि अश्वत्थामा को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के असीरगढ़ किले के पास देखा गया है।
कहानी की रोचकता
दिल्ली के एक टीवी चैनल का पत्रकार प्रभास, अश्वत्थामा की खोज में बुरहानपुर पहुँचता है। वहाँ, वह नक्सली नेटवर्क के बारे में कुछ रहस्य जान जाता है और अंततः अश्वत्थामा से साक्षात्कार करने में सफल हो जाता है। अश्वत्थामा की इस कहानी में घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं और वह एक शिवभक्त से शिवद्रोही को दंड देने के लिए उत्तर कोरिया जाता है। वहाँ के तानाशाह का अहंकार चूर-चूर करने के साथ ही वह उसकी आयुधशाला को नष्ट कर देता है, जिससे संसार को उसकी बर्बादी से मुक्ति मिलती है।
पौराणिक और आधुनिकता का संगम
अश्वत्थामा के साथ लंकापति विभीषण, असुरराज बलि, रामभक्त हनुमान, आचार्य कृप, महर्षि व्यास, और भगवान परशुराम जैसे अमर पौराणिक पात्र भी मिलकर आधुनिक युग में दुनिया की रक्षा करते हैं। इन सप्त रक्षकों के पुण्य कर्मों से परिपूर्ण इस पुस्तक में प्राचीन और नवीन के संबंधों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
“Ashwatthama ka Abhishap” पुस्तक का प्रमुख लक्ष्य नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित करना है। यह कथा पाठकों को यह संदेश देती है कि हमें आधुनिकता की उड़ान भरते समय प्राचीनता का सम्मान करना चाहिए।
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